
ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव शशांक मिश्रा के अनुसार, सरकार बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स के इस्तेमाल को बढ़ा रही है। इन AI उपकरणों की मदद से बिजली चोरी वाले क्षेत्रों का पता लगाना तेज और सटीक हो जाएगा। साथ ही, यह तकनीक घरों में होने वाली बिजली की अनियमितताओं या लीकेज को भी आसानी से पहचान लेगी। इससे बिजली की बर्बादी रुकेगी और उपभोक्ताओं के बिजली बिल भी कम होंगे।
AI से बिजली चोरी पहचानना हुआ आसान
एआई (AI) आधारित एनालिटिक्स टूल अब बिजली कंपनियों (डिस्कॉम्स) को ऐसा डेटा देंगे, जिससे वे बिजली की खपत के असामान्य पैटर्न को पहचान सकेंगे। इस जानकारी की मदद से फील्ड टीमें सीधे उन जगहों पर जाँच कर पाएंगी जहाँ बिजली के साथ छेड़छाड़ या चोरी की आशंका है। इस टेक्नोलॉजी से बिजली कंपनियों के तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान (AT&C Losses) कम होंगे, जिससे उपभोक्ताओं और कंपनियों, दोनों का बोझ कम होगा।
सरकारी कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग
सरकार अब केवल डेटा विश्लेषण (Data Analytics) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह जीपीटी (GPT) जैसे बड़े भाषा मॉडल (Large Language Models) को भी अपनाने की योजना बना रही है। इन उन्नत तकनीकों का उपयोग फैसले लेने की प्रक्रिया को तेज़ करने, फाइल वर्कफ्लो को स्वचालित करने और बिजली वितरण नेटवर्क की बेहतर निगरानी करने के लिए किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, इन तकनीकों के इस्तेमाल से सरकारी कामकाज की गति और पूरे सिस्टम की दक्षता में काफी सुधार आएगा।
डेटा सेंटरों की बढ़ती मांग
ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में डेटा सेंटरों की तेज़ वृद्धि बिजली की अभूतपूर्व माँग पैदा कर रही है। चूँकि भारत के पास पहले से ही पर्याप्त बिजली उत्पादन क्षमता मौजूद है, यह देश के लिए एक बड़ा मौका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत बिजली को वैश्विक स्तर पर ट्रेड होने वाली कमोडिटी की तरह उपयोग करे, तो वह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करके एक वैश्विक ऊर्जा लीडर बन सकता है।
बिजली (संशोधन) विधेयक 2025
सरकार ने इस साल अक्टूबर में बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 का मसौदा पेश किया था। इस बिल का मुख्य उद्देश्य बिजली की लागत को कम करके भारतीय उद्योगों और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है। इसके लिए, छिपी हुई क्रॉस-सब्सिडियों को कम करने का प्रस्ताव है, जिससे बिजली की कीमतें तर्कसंगत हो सकें। सरकार के अनुसार, यह विधेयक बिजली क्षेत्र को वित्तीय रूप से मजबूत करेगा, जबकि किसानों और गरीब परिवारों को मिलने वाली सब्सिडी पहले की तरह जारी रहेगी।
अब मिलेगी सस्ती और भरोसेमंद बिजली
इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य एक आधुनिक बिजली व्यवस्था बनाना है, जो हर उपभोक्ता—चाहे वह किसान हो, आम घर हो, दुकान हो या बड़ा उद्योग—को भरोसेमंद, अच्छी गुणवत्ता वाली और सस्ती बिजली उपलब्ध करा सके। यह कदम हमारी बिजली प्रणाली को भविष्य की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों के लिए तैयार करने और इसे मजबूत बनाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है।
निजी और सरकारी दोनों कंपनियों को मिलेंगे समान अवसर
सरकार अब बिजली आपूर्ति के पुराने एकाधिकार मॉडल को बदलकर एक प्रदर्शन-आधारित और प्रतिस्पर्धी ढाँचा ला रही है। इस नए सिस्टम में, निजी और सरकारी दोनों तरह की कंपनियों को बेहतर सेवा देने के लिए समान अवसर मिलेंगे और वे आपस में प्रतिस्पर्धा करेंगी। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा, जिससे सेवा की गुणवत्ता सुधरेगी और मौजूदा बिजली नेटवर्क का बेहतर इस्तेमाल हो पाएगा। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी, जिससे हर निवेश का बेहतर परिणाम सुनिश्चित होगा।







