
देश में बहुत से लोग किराए पर रहते हैं, हालांकि आमतौर पर किराए से जुड़े कई विवाद भी देखने को मिलते हैं। कई मामलों में मकान मालिक किराएदारों की जिंदगी में अधिक दखलंदाजी करने लगते हैं, तो कभी बिना नोटिस के ही किराया बढ़ा देते हैं। अधिकतर लोगों को किराए से जुड़े नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण परेशानी उठानी पड़ती है। हालांकि अब से भारत किराए के आवास बाजार में 2025 में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेगा, जो नए गृह किराया नियम किरायेदारों और मकान मालिक दोनों के लिए एक पारदर्शी और संतुलित व्यवस्था स्थापित करने पर केंद्रित है।
बता दें, सरकार ने सिक्योरिटी और किराया दोनों पर सीमाएं तय करने से जुड़े नियमों में बदलाव किए है। जिससे किराए में वृद्धि की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ-साथ पूरे देश में समझौतों को सरल बनाया जा सकेगा और अब मकानमालिक भी मनमाने ढंग से किराया नहीं बढ़ा सकेगा।
किराया पट्टा अब हुआ अनिवार्य
बता दें, सरकार के नए नियम के मुताबिक सभी किराए के कॉन्ट्रैक्ट का अब सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप होना अनिवार्य है। इसमें किराए, रखरखाव, सुरक्षा जमा और नोटिस अवधि की स्पष्ट शर्तें शामिल होनी चाहिए, वहीं इस समझौते को कानूनी वैधता प्राप्त हो सके और फर्जीवाडा न हो इसके लिए 2 महीने के भीतर इसे डिजिटल प्रारूप में पंजीकृत किया जाना चाहिए।
तेज विवाद समाधान
इसके अलावा, अब किराए से जुड़े मामलों के तेज निपटारे के लिए विशेष किराया अदालतें भी स्थापित की गई हैं। इन अदालतों का उद्देश्य शांति दावों, जमा राशि और बेदख़ली जैसे मामलों का 60 दिनों के भीतर निपटारा करना है, जिससे किराए से जुड़े मामलों के निपटारे में तेजी आ सकेगी और लोगों का जीवन बेहतर हो सकेगा।
सिक्योरिटी डिपॉजिट की नई सीमा
इस नए नियम में सुरक्षा जमा राशि (Security Deposit) को लेकर अब मकान मालिक केवल दो महीने के किराए के बराबर सुरक्षा जमा राशि ही मांग सकता है। जिससे अब किराएदारों पर डिपॉजिट जमा करने का अधिक बोझ नहीं पडेगा और वह कम किराया देने के साथ-साथ अपनी जरुरी के अनुसार घर बदलने का खर्च भी आसानी से उठा सकते हैं।
किराए में वृद्धि होगी नियंत्रित
अब मकान मालिक साल में केवल एक ही बार किराया बढ़ा सकते हैं, जिसके लिए उन्हें वृद्धि की 90 दिन पहले लिखित सूचना देनी होगी। जो किराएदारों की वित्तीय स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव से बचने के लिए उचित होनी चाहिए।