
हर किसी का सपना होता है की वह खुद का घर खरीदे या बनाए, हालाँकि आज की महंगाई में घर खरीदना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है। घर के लिए या तो आपके पास बड़ी सेविंग होनी जरुरी है या आप लोन लेकर अपना घर तैयार कर सकते हैं। घर बनाने के लिए अधिकतर लोग होम लोन ले लेते हैं, लेकिन उसपर लगने वाले ब्याज और हर महीने की ईएमआई भरते-भरते उनकी आधी जिंदगी ऐसे ही निकल जाती है। जिसे देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने होम लोन ग्राहकों को एक बड़ी राहत दी है।
बता दें आरबीआई के एक नए फैसले के बाद से अब बैंकों को ब्याज दरों में समायोजन करने की अधिक लचीली छूट मिल सकती है, जिससे उधारतकर्ताओं की ईएमआई पर सीधा असर पडेगा। आरबीआई के इस कदम का उद्देश्य से ब्याज दरों के बीच बड़ी राहत देना और हाऊसिंग सेक्टर में स्थिरता बनाए रखना है।
होम लोन लेने वालों के लिए राहत की हवा
RBI का यह निर्णय बैंकों को पुनर्गठन (Restructuring) और ब्याज दर में बदलाव (Rate Adjustment) जैसी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की अनुमति देता है। इसका प्रभाव उन लाखों परिवारों पर पड़ सकता है जिनकी EMI बढ़ती दरों के कारण पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गई थी। अब लोन की अवधि बढ़ाने, ब्याज दरों को पुनःनिर्धारित करने और फिक्स्ड तथा फ्लोटिंग ब्याज दरों के बीच बदलाव को लेकर बैंकों के लिए नई लचीलापन नीति अपनाई जा रही है।
महामारी के समय से लेकर अब तक, ब्याज दरों में लगातार उतार-चढ़ाव ने होम लोन का बोझ बढ़ा दिया था। RBI के इस ताज़ा निर्णय से ब्याज दरों में संतुलन आने का अनुमान है। यदि बैंक अपनी MCLR या Repo-linked interest rates को संशोधित करते हैं, तो EMI में कुछ प्रतिशत तक की कमी देखने को मिल सकती है। यह राहत विशेष रूप से मध्यम वर्ग (Middle Class) और नए घर खरीदने वालों की आर्थिक योजना में बड़ा फर्क ला सकती है।
लोन संरचना और EMI पर संभावित प्रभाव
बैंकिंग विशेषज्ञों का मानना है कि RBI ने जिस तरह बैंकों को अधिक स्वतंत्रता दी है, वह लोन की लचीलापन संरचना को मजबूत करेगी। इसका मतलब है कि अब ग्राहक अपनी EMI को घटाने के लिए लोन अवधि बढ़ा सकते हैं या उपयुक्त ब्याज दर का विकल्प चुन सकते हैं। यह सुविधा उन ग्राहकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो बढ़ती वित्तीय दबावों से परेशान हो चुके हैं।
इसके अलावा, यदि बैंक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरों में कटौती करते हैं, तो यह हाउसिंग मार्केट की गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। Real Estate सेक्टर में लेन-देन बढ़ने से नए प्रोजेक्ट्स, कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी और रोजगार की संभावनाओं पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस तरह RBI का यह कदम केवल EMI नहीं बल्कि पूरे इकोनॉमिक सिस्टम को गति देने वाला साबित हो सकता है।








