भारत सरकार ने ग्रेच्युटी नियमों में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है, जिसके अनुसार नौकरी करने वाले फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को अब केवल एक साल की सेवा के बाद भी ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। यह बदलाव श्रमिकों की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए किया गया है और इससे फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को वेतन के साथ-साथ अन्य लाभ भी जल्दी मिल सकेंगे। पहले तक यह लाभ केवल पांच साल से अधिक सेवा करने वाले कर्मचारियों को ही मिलता था।

नए नियम का उद्देश्य और प्रभाव
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों का आर्थिक सुरक्षा कवच बढ़ाना है ताकि वे कम सेवा अवधि में ही ग्रेच्युटी का लाभ प्राप्त कर सकें। इससे उन कर्मचारियों के लिए राहत होगी जो छोटी अवधि के लिए नौकरी करते हैं या फिक्स्ड-टर्म पर लगे हैं। नए नियमों से ये कर्मचारी अब अपनी सेवाकाल के दौरान भी वित्तीय सहायता पा सकेंगे, जो उनके जीवन में स्थिरता लाने में मददगार साबित होगी।
ग्रेच्युटी की गणना कैसे होगी?
ग्रेच्युटी की राशि का निर्धारण अभी भी पहले के जैसी गणना प्रक्रिया से किया जाएगा। इसका फार्मूला है:ग्रेच्युटी=1526×अर्ह वेतन×कुल सेवा वर्षग्रेच्युटी=2615×अर्ह वेतन×कुल सेवा वर्ष
यहां अर्ह वेतन में वेतन کا बेसिक हिस्सा और महंगाई भत्ता शामिल होते हैं। नया नियम कहता है कि ग्रेच्युटी के लिए वेतन के कम से कम 50% हिस्से को अर्ह वेतन माना जाएगा, जिससे कर्मचारियों को अधिक राशि मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
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नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए नई चुनौतियां
यह बदलाव नियोक्ताओं के लिए कुछ चुनौतियां भी लेकर आया है। अब उन्हें फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के ग्रेच्युटी का भुगतान कम सेवा अवधि के बाद भी करना होगा, जिससे उनकी देयता बढ़ेगी। इसके लिए नियोक्ताओं को अपने बजट और वेतन संरचना में आवश्यक बदलाव करने होंगे। वहीं कर्मचारियों के लिए यह नियम आर्थिक संतुलन बनाए रखने और नौकरी छूटने पर वित्तीय सहायता पाने का एक बड़ा मौका है।
समयसीमा और नियमों का पालन
ग्रेच्युटी का भुगतान कर्मचारी की सेवा समाप्ति के एक महीने (30 दिन) के भीतर किया जाना अनिवार्य होगा। यदि भुगतान समय पर नहीं किया गया, तो नियोक्ता को उस पर 10% वार्षिक ब्याज का भुगतान भी करना होगा। इससे सुनिश्चित होगा कि कर्मचारी अपने हक का भुगतान शीघ्रता से प्राप्त करें।
इस प्रकार, नए ग्रेच्युटी नियम ने श्रमिकों की भलाई को ध्यान में रखते हुए श्रमिक कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह बदलाव मुख्यतः फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को अधिक सुरक्षा प्रदान करता है और श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत करता है। इससे भारत में कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा और नौकरी की स्थिरता बढ़ेगी।









