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नितिन गडकरी का मेगा प्रोजेक्ट अटक गया! आखिर सैटेलाइट टोल कलेक्शन क्यों फंस गया?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बहुप्रतीक्षित सैटेलाइट टोल कलेक्शन प्रोजेक्ट फिलहाल रोक दिया गया है। 1 मई 2025 से इसे लागू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया। सुरक्षा और निजता की बढ़ती चिंताओं के कारण सरकार अब केवल ANPR-FASTag आधारित टोलिंग ही लागू करेगी। जानें इस मेगा प्रोजेक्ट के अटकने का असली कारण क्या है!

By Pinki Negi

नितिन गडकरी का मेगा प्रोजेक्ट अटक गया! आखिर सैटेलाइट टोल कलेक्शन क्यों फंस गया?
नितिन गडकरी का मेगा प्रोजेक्ट अटक गया

केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के एक बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को स्थगित कर दिया है। यह प्रोजेक्ट सैटेलाइट आधारित टोल वसूली (GNSS) योजना था, जिसके तहत वाहनों की ट्रैकिंग करके टोल लिया जाना था। सरकार ने यह फ़ैसला इसलिए लिया है क्योंकि अधिकारियों को डर है कि गाड़ियों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाने से आम लोगों की निजता (Privacy) प्रभावित हो सकती है, डेटा का दुरुपयोग हो सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जोखिम भी खड़े हो सकते हैं। इन गंभीर आशंकाओं को देखते हुए, फ़िलहाल इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

गोपनीयता और सुरक्षा चिंताओं के कारण सैटेलाइट टोलिंग (GNSS) योजना स्थगित

सरकार ने सैटेलाइट टोलिंग (GNSS) सिस्टम को लागू करने का फैसला स्थगित कर दिया है। सरकार पहले ही साफ कर चुकी थी कि 1 मई से इसे लागू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया था। इस GNSS प्रणाली में हर वाहन में एक खास डिवाइस (OBU) लगाना ज़रूरी था, जो वाहन की लोकेशन, रूट और स्पीड जैसी निजी जानकारी लगातार रिकॉर्ड करता।

अधिकारियों के अनुसार, इस डेटा के दुरुपयोग और नागरिकों की गोपनीयता (Privacy) लीक होने की आशंका थी। साथ ही, VIP मूवमेंट को ट्रैक किए जाने का भी खतरा था, जिसे बड़ा सुरक्षा जोखिम माना गया। इन्हीं गंभीर सुरक्षा चिंताओं के चलते सरकार ने इस योजना को फिलहाल टालने का फैसला किया है।

टोल प्लाजा पर अब नंबर प्लेट से कटेगा पैसा, फास्टैग ही रहेगा

पहले बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे और हरियाणा के कुछ हिस्सों में GNSS तकनीक (GPS जैसी ट्रैकिंग) का परीक्षण किया गया था, जिसका उद्देश्य था कि गाड़ी जितनी दूरी तय करे, उतना ही टोल अपने आप बैंक खाते से कट जाए। हालांकि, अब सरकार ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) प्रणाली पर काम कर रही है।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी. उमाशंकर ने बताया कि इस नई प्रणाली में किसी ट्रैकिंग डिवाइस की ज़रूरत नहीं होगी। इसके बजाय, हाईवे पर लगे कैमरे नंबर प्लेट को पढ़ेंगे और टोल की राशि मौजूदा फास्टैग वॉलेट से ही कट जाएगी। इसका मतलब है कि वाहन बिना रुके टोल प्लाजा पार कर सकेंगे, जिससे समय बचेगा और जाम कम होगा।

सैटेलाइट टोलिंग पर फिलहाल रोक

अप्रैल 2025 में, मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि 1 मई 2025 से सैटेलाइट टोलिंग (GPS-आधारित टोल वसूली) को लागू करने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। इसके बजाय, चुनिंदा टोल प्लाजा पर ANPR-FASTag (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) पर आधारित बाधा-रहित टोलिंग (barrier-free tolling) ही शुरू की जाएगी। यह महत्वपूर्ण निर्णय नागरिकों की सुरक्षा (security) और निजता (privacy) को लेकर बढ़ती चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस कदम से बिना रुके टोल पार करने की सुविधा भी मिलेगी।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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