
गुरुवार को बजट तैयारियों के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में, श्रमिक संगठनों ने सरकार के सामने प्रमुख मांगें रखीं। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं (जैसे PF और ESI) में कर्मचारियों के योगदान पर टैक्स छूट देने की मांग की। इसके साथ ही, संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को दोबारा लागू करने और EPFO पेंशन की न्यूनतम राशि को बढ़ाकर ₹9,000 प्रति माह करने की भी पुरजोर मांग की। इन मांगों को लेकर दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों के समूह ने एक ज्ञापन भी सौंपा।
श्रमिक संगठनों की प्रमुख माँगें
न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा के अनुसार, देश के श्रमिक संगठनों ने सरकार से कई महत्वपूर्ण माँगे की हैं। उनकी मुख्य माँगों में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए आयकर छूट की सीमा बढ़ाना शामिल है। साथ ही, उन्होंने ईपीएफओ (EPFO) और ईएसआई (ESI) के योगदान और पात्रता की सीमा को बढ़ाने की मांग की है। संगठनों ने यह भी कहा है कि ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को समाप्त किया जाए और पेंशन पर किसी भी प्रकार का टैक्स न लगाया जाए।
अमीरों पर टैक्स बढ़ाकर धन जुटाने की मांग
संगठनों ने यह सुझाव दिया है कि सरकार को खाद्य वस्तुओं और दवाइयों पर GST का बोझ आम जनता पर डालने के बजाय, कंपनी टैक्स, संपत्ति टैक्स और उत्तराधिकार टैक्स को बढ़ाकर धन जुटाना चाहिए। उनका मानना है कि अमीर व्यक्तियों पर केवल 1% उत्तराधिकार टैक्स लगाने से भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्रों के लिए एक बड़ी धनराशि आसानी से जुटाई जा सकती है।
सरकारी नौकरियों में रिक्तियाँ भरने की माँग
देश के श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार से यह माँग की है कि सभी सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) में खाली पड़े पदों को तुरंत भरा जाए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी माँग रखी है कि निश्चित अवधि रोजगार (Fixed Term Employment) की व्यवस्था को समाप्त किया जाए और उसकी जगह स्थायी (नियमित) नौकरी की व्यवस्था को लागू किया जाए।
पुरानी पेंशन (OPS) बहाली और EPS-95 बढ़ाने की मांग
कर्मचारी संगठनों ने एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग दोहराई है और कहा है कि नई पेंशन योजना (NPS) इसका सही विकल्प नहीं है, इसलिए इसे समाप्त किया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने ईपीएस-95 (EPS-95) के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹9,000 करने की भी वकालत की है, और मांग की है कि इसे महंगाई भत्ते (DA) से भी जोड़ा जाए। इन मांगों को पूरा करने के लिए उन्होंने बजट में अलग से धन (पैसे) का प्रावधान करने की मांग की है।
न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रति माह तय करने पर ज़ोर
देश के श्रमिक संगठनों ने आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का तुरंत गठन करने और उसमें पेंशनभोगियों को शामिल करने की मांग की है। इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रति माह (महंगाई के अनुरूप वृद्धि के साथ) तय करने पर ज़ोर दिया है। इन संगठनों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण और राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन की प्रक्रिया को तुरंत रोकने और समाप्त करने की भी मांग की है।







