
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की हाई पेंशन स्कीम को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। बता दें EPFO की हाइ पेंशन के स्कीम के तहत जमा हुए लाखों आवेदनों में से बड़ी संख्या को खारिज कर दिया गया है। संसद में जानकारी देते हुए केंद्र सरकार ने बताया है की EPFO को मिले 15.24 लाख हाइ पेंशन आवेदनों में से 11 लाख से अधिक आवेदन खारिज कर दिए गए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई और पुडुचेरी रीजन में सबसे अधिक 63,026 आवेदन रिजेक्ट किए गए हैं। इनमें से केवल 4 लाख फॉर्म ही पास हो सके हैं, जबकि 21,995 आवेदन अभी प्रोसेस में है, हालाँकि फिलहाल सरकार ने यह नहीं बताया की इतनी बड़ी संख्या में फॉर्म क्यों ख़ारिज किए गए हैं। वहीं बाकी बचे आवेदनों की प्रक्रिया कब पूरी होगी इसे लेकर भी अभी जानकारी नहीं दी गई है।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आया बाद मोड़
बता दें ईपीएफओ की हाई पेंशन स्कीम को लेकर 4 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैलसा सुनाया। कोर्ट का कहना था की ऐसे कर्मचारी जो 1 सितंबर, 2014 से पहले ईपीएफ स्कीम में शामिल थे और बाद में भी नौकरी कर रहे हैं या रिटायर हो गए हैं, वह अपनी सैलरी के आधार पर पेंशन का विकल्प चुन सकते हैं। इस फैसले से उन लाखों कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली जो सालों से अपनी सैलरी पर पेंशन की उम्मीद कर रहे थे।
कब शुरू की EPFO ने ऑनलाइन प्रक्रिया
EPFO ने कोर्ट के फैसले के बाद 26 फरवरी, 2023 को एक ऑनलाइन पोर्टल लांच किया, जिससे कर्मचारी और पेंशनर्स हाई पेंशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। शुरुआत से आवेदन की तिथि 3 मई निर्धारित की गई थी, जिसे बढ़ाकर 26 जून, 2023 कर दिया गया था। इसके बाद कंपनियों को कई बार मौका दिए गए जिससे वह अपनी सैलरी डिटेल्स अपलोड कर सकें।
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कौन ले सकते हैं हाइ पेंशन का फायदा
EPFO की हायर पेंशन स्कीम क्र तहत फायदा लेने के लिए कर्मचारी को इसकी निर्धारित पात्रता शर्तों को पूरा करना होगा।
- कर्मचारी द्वारा 1 सितंबर, 2014 से पहले ईपीएफ स्कीम ज्वाइन की गई हो।
- वह व्यक्ति वर्तमान में नौकरी में हो या रिटायर हो चुका हो।
- कर्मचारी द्वारा EPS में अपनी पूरी सैलरी के आधार पर योगदान देने का विकल्प पहले से चुना गया हो या अब उस विकल्प को चुनना चाहता हो।
यानी जिस कर्मचारी ने ईपीएस में केवल तय सीमा के अनुसार नहीं, बल्कि अपनी पूरी सैलरी के हिसाब से योगदान दिया है या देने की इच्छा जताई है वह इस योजना के लिए योग्य होंगे। इस योजना के तहत पेंशन की गणना कर्मचारी की कुल सेवा अवधि और योगदान की राशि के आधार पर होती है।
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