
लगभग सात दशक के बाद केंद्र सरकार ने र कोयला खदानों में काम करने वाले लाखों मज़दूरों के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। सरकार ने उनकी सामाजिक सुरक्षा और पेंशन लाभ को मजबूत करने के लिए एक नया ड्राफ्ट बिल जारी किया है। यह नया प्रस्तावित कानून 1948 के पुराने ‘कोयला खान भविष्य निधि अधिनियम’ (Coal Mines Provident Fund Act) की जगह लेगा। सरकार ने इस ड्राफ्ट पर सार्वजनिक राय माँगी है, ताकि मजदूरों के हितों को आधुनिक समय की ज़रूरतों के अनुसार बेहतर बनाया जा सके।
नयी व्यवस्था का मुख्य लक्ष्य
केंद्र सरकार ने बुधवार को कोयला खदान कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान विधेयक, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। इस नए विधेयक का मुख्य लक्ष्य 77 साल पुराने 1948 के कानून को बदलना है। पुराना कानून तब बनाया गया था जब कोयला क्षेत्र विकसित हो रहा था और इसका उद्देश्य मजदूरों के लिए पीएफ फैमिली पेंशन और बीमा योजनाएँ शुरू करना था। अब सरकार इन सभी योजनाओं को डिजिटलीकरण, नए लेबर कोड्स (श्रम संहिता), लिंग समानता (जेंडर इक्विटी) और विवादों के बेहतर निपटारे जैसी आज की नई ज़रूरतों के अनुसार अपडेट करना चाहती है।
बिल में होंगे कई बड़े बदलाव
- नया बोर्ड: पुराने ट्रस्ट बोर्ड की जगह अब ‘कोल माइन्स एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड बोर्ड’ बनाया जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे पूरे काम में निगरानी और पारदर्शिता बेहतर होगी।
- महिलाओं की भागीदारी: छह सदस्यीय कर्मचारी प्रतिनिधि टीम में कम से कम एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य किया गया है, जिससे लिंग संतुलन (जेंडर बैलेंस) और समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- पीएफ की समय पर वसूली: नए कानून में यह सुनिश्चित किया गया है कि कर्मचारियों के पीएफ (PF) की रकम उन्हें समय पर मिल जाए। इसके लिए कंपनियों की जिम्मेदारी तय की गई है ताकि किसी भी तरह की देरी न हो।
- जुर्माने में बदलाव: पुराने कानून में कई मामलों में जेल की सज़ा का प्रावधान था, जिसे अब आंशिक रूप से हटा दिया गया है। यानी अब सज़ा की जगह आर्थिक जुर्माने का प्रावधान होगा।
- नए बिल में यह प्रावधान किया गया है कि एक निर्णायक अधिकारी नियुक्त होगा, जिसका काम गलतियों की जाँच करना और दोषी पाए जाने पर सज़ा या जुर्माना तय करना होगा।