
CBSE के सभी स्कूलों में साफ़ कहा है कि अगर कोई छात्र स्कूल में नियमित रूप से उपस्थित नहीं होता है, तो उसे internal assessment देने में परेशानी हो सकती है। बोर्ड ने बताया कि यह मूल्यांकन ओवरऑल मूल्यांकन का एक ज़रूरी हिस्सा है और इसके बिना रिजल्ट घोषित नहीं किया जा सकता। एग्जाम में बैठने के लिए छात्रों की 75% उपस्थिति अनिवार्य है. बोर्ड ने पहले ही अगस्त में एक सर्कुलर भेजकर इस नियम के बारे में जानकारी दी थी। कई प्रिंसिपल का कहना है कि बोर्ड इस बात पर ध्यान दे रही है कि छात्र स्कूल नियमित रूप से आएं। इसके लिए बोर्ड ने इंटरनल असेसमेंट और 75% उपस्थिति के नियम जरुरी कर दिया है।
CBSE का बड़ा बदलाव
नए नियमों के अनुसार, CBSE ने सभी विषयों में आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) को अनिवार्य कर दिया है, जो NEP-2020 पर आधारित है. अगर कोई छात्र स्कूल नहीं जाता है तो उसका आंतरिक मूल्यांकन नहीं हो सकता, और ऐसे में उसका रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा। ऐसे छात्रों को ‘एसेंशियल रिपीट कैटेगरी’ में डाल दिया जाएगा, यानी की वह फ़ैल हो गए है और कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए भी योग्य नहीं होंगे.
ये छात्र नहीं पाएंगे एग्जाम
बच्चे नियमित रूप से स्कूल आये और अच्छे से पढ़ाई कर सकें, उसके लिए CBSE ने कुछ नियम बनाएं है। अगर 10 क्लास के बच्चे दो से ज्यादा विषयों में और 12वीं क्लास में एक से ज्यादा विषय में फ़ैल होता है, तो उसे कंपार्टमेंट परीक्षा में नहीं बैठाया जायेगा। उन्हें फिर अगले साल सभी विषयों की परीक्षा देनी होगी।
आंतरिक मूल्यांकन है जरुरी
CBSE ने यह साफ किया है कि कक्षा 10 और 12 की पढ़ाई दो साल की होती है, जिसमें आंतरिक मूल्यांकन काफी महत्वरपूर्ण है। स्कूल साल भर अलग-अलग तरह के टेस्ट और प्रोजेक्ट लेते हैं, जिनके नंबर अंतिम चरण में जोड़े जाते है। इससे यह तय होता है कि बच्चा सिर्फ बोर्ड परीक्षा से पहले ही नहीं, बल्कि पूरे साल मेहनत करें।