
कई छात्र 12वीं के बाद टीचर बनने का सपना देखते है और सोचते हैं कि उन्हें बीएड (B.Ed.) करना चाहिए या डीएलएड (D.El.Ed.). दोनों ही कोर्स से आप टीचर बन सकते हैं, लेकिन आजकल कई युवा बीएड की जगह डीएलएड करना ज्यादा पसंद कर रहे है. आइए जानते है इसके पीछे का कारण…
क्या होता है B.Ed ?
टीचर बनने के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed.) के जरूरी डिग्री है. यह ग्रेजुएशन के बाद दो साल का कोर्स है. कुछ जगहों पर यह 12वीं के बाद चार साल के कोर्स के रूप में भी पढ़ाया जाता है. 2027 के बाद बीएड सिर्फ 12वीं के बाद चार साल का कोर्स होगा. बीएड करने के बाद आप 6वीं से 8वीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ा सकते हैं. अगर आपने पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद बीएड किया है, तो आप हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के बच्चों को भी पढ़ा सकते हैं. बीएड की डिग्री के बाद आप टीजीटी (TGT) और पीजीटी (PGT) सरकारी शिक्षक की भर्तियों के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं.
DELED क्या होता है ?
DELED यानी डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन, यह दो साल का होता है, जो की 12वीं के बाद होता है. जो लोग जल्द से जल्द से टीचर बनना चाहते हैं उनके लिए ये अच्छा ऑप्शन है. इस कोर्स को पूरा करने के बाद आपको 1 से 5 तक के क्लास के बच्चों को पढ़ाना होगा. इसमें बच्चों के विकास, उनके सीखने के तरीके और खेल-खेल में पढ़ाने की तकनीकों के बारे में सिखाया जाता है.
क्यों बढ़ रही है D.El.Ed की डिमांड?
- जल्दी करियर की शुरुआत – आज के समय में सब लोग जल्दी टीचर बनना चाहते है, इसलिए वह 12वीं के बाद सीधे ग्रेजुएशन के बिना दो साल में शिक्षक बन जाते है, जिससे समय और पैसा की बचत होती है.
- नई शिक्षा नीति – नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत प्रारंभिक शिक्षा पर खास ध्यान दिया गया है, जिससे आने वाले समय में प्राथमिक शिक्षकों की मांग बढ़ेगी.
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला – सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती में B.Ed. डिग्री वाले उम्मीदवारों के लिए रास्ते बंद कर दिए हैं, जिससे D.El.Ed. की अहमियत और भी ज्यादा हो गई है.
- व्यावहारिक प्रशिक्षण – D.El.Ed. कोर्स छोटे बच्चों की मानसिकता को समझने और उन्हें खेल-खेल में पढ़ाने पर केंद्रित है, जिससे ये शिक्षक प्राथमिक शिक्षा के लिए बेहतर माने जाते हैं.
- रोजगार के मौके – भारत के हर गाँव में प्राथमिक स्कूल हैं, जहाँ टीचरों की हमेशा जरूरत होती है. इस कोर्स के बाद सरकारी स्कूलों में नौकरी के अच्छे मौके मिल जाते हैं.
- कम खर्च – ग्रेजुएशन और B.Ed. की तुलना में D.El.Ed. करने में कम खर्च आता है, इस वजह से भी D.El.Ed की डिमांड बढ़ रही है.