Tags

Auto Rickshaw Business: बिना चलाए भी करें ₹8 लाख महीने की कमाई, जानें कैसे चलेगा ये यूनिक मॉडल

मुंबई के एक ड्राइवर ने ऐसा यूनिक तरीका निकाला जिससे उसका ऑटो अब खुद नहीं चलता, फिर भी हर महीने लाखों रुपये कमा रहा है। बिना डिग्री, स्टार्टअप या ऐप बस सही आइडिया से कैसे कमाए करोड़ों, जानिए पूरी कहानी!

By Pinki Negi

Auto Rickshaw Business: बिना चलाए भी करें ₹8 लाख महीने की कमाई, जानें कैसे चलेगा ये यूनिक मॉडल
Auto Rickshaw Business: बिना चलाए भी करें ₹8 लाख महीने की कमाई, जानें कैसे चलेगा ये यूनिक मॉडल

मुंबई जैसे व्यस्त शहर में रोज़ाना हजारों लोग वीजा इंटरव्यू, ऑफिस मीटिंग्स या सरकारी कामों के लिए दक्षिण मुंबई स्थित अमेरिकी दूतावास (US Consulate) पहुंचते हैं। यहां सुरक्षा नियमों के कारण किसी को भी बैग या इलेक्ट्रॉनिक सामान अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होती। मगर समस्या यह है कि आसपास कोई अधिकृत लॉकर सुविधा उपलब्ध नहीं होती। इसी असुविधा को इस ऑटो ड्राइवर ने एक सुनहरा अवसर बना दिया।

ऑटो चलाने के बजाय वह अब Consulate के बाहर खड़ा रहता है और आने वाले लोगों से बैग रखने का चार्ज लेता है। उसकी पेशकश सरल होती है “सामान मेरे पास छोड़ दो, सुरक्षित रहेगा।” इस सेवा के लिए वह प्रति बैग करीब 1000 रुपये लेता है। लोगों के पास दूसरा कोई विकल्प न होने के कारण वे उसके भरोसे पर बैग छोड़ जाते हैं।

एक दिन की कमाई से बना लाखों का मॉडल

अगर औसतन 20 से 30 लोग रोज़ यह सुविधा लेते हैं, तो उसकी दैनिक कमाई 20,000 से 30,000 रुपये के बीच होती है। महीने के हिसाब से इसका मतलब हुआ लगभग 5 से 8 लाख रुपये की कमाई वो भी बिना गाड़ी चलाए, बिना किसी कर्मचारी की भारी भरकम टीम के और बिना किसी तकनीकी प्लेटफॉर्म के।

यह मॉडल इसलिए खास है क्योंकि यह “हाइपर-स्पेसिफिक प्रॉब्लम” यानी एक बहुत छोटे लेकिन वास्तविक दर्द-बिंदु को समझकर बनाया गया है। जहां लोग असुविधा में हों और विकल्प न हो, वहीं बिजनेस का बीज छिपा होता है।

कानूनी व्यवस्था और सुरक्षा पहलू

इतनी बड़ी संख्या में बैग रखना किसी के लिए भी जोखिम भरा हो सकता था, लेकिन इस ऑटो ड्राइवर ने इस बात का भी समाधान ढूंढ लिया। उसने स्थानीय पुलिस स्टेशन से अनुमति ली और पास के एक छोटे लॉकर सर्विस प्रदाता से पार्टनरशिप कर ली। इस तरह ग्राहकों के बैग असल में सुरक्षित लॉकर में रखे जाते हैं, हालांकि ग्राहक समझते हैं कि सामान ऑटो में ही है।

यह व्यवस्था न सिर्फ उसे कानूनी सुरक्षा देती है बल्कि ग्राहकों के विश्वास को भी मजबूत करती है। अब यह सिर्फ एक अस्थाई उपाय नहीं, बल्कि एक छोटा लेकिन स्थायी बिजनेस बन चुका है, जो पूरी तरह से सिस्टम के भीतर संचालित होता है।

असली एंटरप्रेन्योरशिप का सबक

यह उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि असली उद्यमिता डिग्री और आईटी स्टार्टअप्स में ही नहीं मिलती, बल्कि यह सड़कों और रोज़मर्रा की समस्याओं से जन्म लेती है। मुंबई के इस ऑटोवाले ने किसी नए ऐप या निवेश के बिना, केवल ग्राहकों की तकलीफ को समझकर अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा लिया।

कई लोगों को 1000 रुपये प्रति बैग का शुल्क अधिक लगता है, लेकिन बिजनेस में यही तो फर्क होता है — जब मांग अधिक हो और विकल्प कम, तब मूल्य वही तय करता है जिसके पास समाधान है। इस ड्राइवर ने समस्या देखकर केवल सेवा नहीं दी, बल्कि उसे प्रोफेशनल तरीके से स्थापित किया।

बड़ा संदेश

यह कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो सोचता है कि बड़ा बिजनेस शुरू करने के लिए बड़ी पूंजी चाहिए। सच यह है कि सफल बिजनेस वही है जो छोटे से मौके को पहचानकर उसमें मूल्य जोड़ सके। अगर सोच सही हो, दृष्टिकोण व्यावहारिक हो और समाधान ईमानदार हो — तो एक साधारण ऑटो से भी करोड़ों की दिशा में सफर शुरू किया जा सकता है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें