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स्कूल टीचर ने खाली टाइल में शुरू किया ये काम, सालाना ₹12 लाख की इनकम! कमाल का फॉर्मूला, आप भी करें शुरू

कैमरिना राभा असम की एक स्कूल टीचर हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने खाली समय में वनीला की खेती शुरू की। मेघालय से वनीला की कटिंग खरीदी और अपनी जमीन पर लगाई। तीन साल की मेहनत के बाद उन्होंने 2024 में 50 किलो सूखी वनीला फली बेची, जिससे ₹5 लाख रुपये की कमाई हुई। इसके अलावा कटिंग बेचकर उन्हें ₹12 लाख की आमदनी हुई। ऑर्गेनिक खेती और मैन्युअल पॉलिनेशन के जरिए उन्होंने अपनी फसल को सफल बनाया और अब वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणा हैं।

By Pinki Negi

असम के ग्वालपाड़ा जिले की रहने वाली कैमरीना राभा एक समय सिर्फ एक स्कूल टीचर थीं। हर दिन स्कूल में पढ़ाने के बाद दोपहर के बाद का समय उनके पास खाली रहता था। लेकिन उन्होंने इस फ्री टाइम को बेकार नहीं जाने दिया। उन्होंने अपनी जिंदगी बदलने वाला एक नया रास्ता चुना – वनीला की खेती का।

लॉकडाउन बना सोच में बदलाव का मोड़

साल 2020 के लॉकडाउन ने जैसे देशभर में नई सोच की शुरुआत की, वैसे ही कैमरीना की जिंदगी में भी बदलाव की शुरुआत इसी दौर में हुई। एक दिन उनके पति ने दुनिया के दूसरे सबसे महंगे मसाले वनीला के बारे में एक आर्टिकल पढ़ा। केसर के बाद वनीला की कीमत सुनकर दोनों ने तय किया कि इसे क्यों न ट्राई किया जाए? इसी विचार से उन्होंने मेघालय की एक नर्सरी से 30 वनीला की कटिंग ₹350 प्रति कटिंग के भाव से खरीदीं और अपने घर के पास छोटे से खेत में लगा दीं।

धीरे-धीरे बढ़ाई खेती की स्केल

पहले तो उन्हें कोई खास अनुभव नहीं था, लेकिन सीखने के जज़्बे ने सब आसान कर दिया। M.Ed. की पढ़ाई पूरी होने के बावजूद खेती को अपनाना उनके लिए बड़ा फैसला था। पर मेहनत रंग लाई, और उन्होंने वनीला कटिंग तैयार करने की कला खुद सीख ली। अगले दो सालों में उन्होंने अपनी खेती को एक बीघा जमीन तक फैला दिया और लगभग 1,200 पौधे लगा दिए।

तीन साल बाद मिली पहली बड़ी फसल

वनीला का पौधा तीन साल बाद फल देना शुरू करता है। 2022 में कैमरीना की मेहनत का पहला नतीजा सामने आया। शुरुआत में थोड़ी उपज कम रही, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने शेड नेट लगाने का तरीका अपनाया, जिससे प्रोडक्शन बढ़ा। 2024 तक उन्हें 50 किलो सूखी वनीला फली मिली, जो ₹10,000 प्रति किलो के भाव से बिककर 5 लाख रुपये की कमाई में बदली।

कटिंग बेचकर हुई और ज्यादा इनकम

सूखी फली से हुई आमदनी के अलावा कैमरीना को असली फायदा वनीला की कटिंग बेचने से हुआ। कई किसान उनसे सीखने और कटिंग खरीदने लगे, जिससे उन्हें करीब 12 लाख रुपये की एक्स्ट्रा इनकम हुई। अब वे अपने इलाके में वनीला कल्टीवेशन की ट्रेनिंग भी देती हैं ताकि दूसरे लोगों को भी इसका लाभ मिल सके।

ऑर्गेनिक फार्मिंग ने बढ़ाया उत्पादन

कैमरीना ने शुरुआत से ही अपनी खेती को ऑर्गेनिक रखा। वे केमिकल्स की बजाय गाय के गोबर और बकरी की खाद का इस्तेमाल करती हैं। वनीला की बेल को सहारा देने के लिए वे कॉयर मॉस पोल का उपयोग करती हैं। पॉलिनेशन के लिए वे मैन्युअल तकनीक अपनाती हैं, क्योंकि वनीला के पॉलिनेशन वाली मधुमक्खी अब लगभग विलुप्त हो चुकी है।

दूसरे किसानों के लिए बनी मिसाल

आज कैमरीना राभा पूरे ग्वालपाड़ा इलाके में प्रेरणा का नाम बन चुकी हैं। उनका कहना है कि अगर सही जानकारी, मेहनत और धैर्य हो, तो वनीला जैसी हाई-वैल्यू फसलें छोटे किसानों को भी बड़ी आय दे सकती हैं। उन्होंने साबित किया कि टीचर से किसान बनने का सफर सिर्फ पेशा बदलने की कहानी नहीं, बल्कि सोच में बदलाव का उदाहरण है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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