
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) निवेश का एक बहुत भरोसेमंद और सुरक्षित तरीका है। साल 2025 में भारतीय बैंकिंग सेक्टर में FD पर ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी हुई है। खासकर, कुछ छोटे वित्त बैंक और नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) अब 9% तक का आकर्षक ब्याज़ दे रहे हैं, जो बड़े बैंकों से कहीं ज़्यादा है। FD का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको मिलने वाला ब्याज़ निश्चित रहता है और यह बाज़ार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता, जिससे आपका पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
एफडी (FD) रिटर्न की तुलना
साल 2025 में कई छोटे वित्त बैंक और कुछ नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर 8% से 9% तक का ऊंचा ब्याज़ दे रही हैं, जो पारंपरिक बड़े बैंक जैसे SBI, ICICI और HDFC के 6% से 7.5% ब्याज़ से काफी ज्यादा है। हालांकि, इन छोटे संस्थानों में निवेश करते समय आपको बेहतर रिटर्न तो मिलता है, लेकिन आपको अपने पैसों की सुरक्षा को लेकर थोड़ा ज़्यादा ध्यान देना ज़रूरी होता है।
9% तक FD ब्याज देने वाले प्रमुख बैंक और उनकी ब्याज दरें
| बैंक का नाम | FD पर अधिकतम ब्याज दर (%) | परिपक्वता अवधि |
| सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक | 9.10% | 5 वर्ष |
| मुथूट कैपिटल सर्विसेज | 8.95% | 3 वर्ष |
| जन स्मॉल फाइनेंस बैंक | 8.00% | 5 वर्ष |
| इक्वितास स्मॉल फाइनेंस बैंक | 8.50% | लगभग 3 वर्ष |
| एसईएएफ बैंक | 8.50% | 2-3 वर्ष |
| उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक | 8.25% | लगभग 1-2 वर्ष |
| आईसीआईसीआई बैंक | 6.60% | 2-10 वर्ष |
| स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) | 7.29% | लगभग 1.1 वर्ष |
छोटे बैंकों में ब्याज़ दर बढ़ने का कारण
आरबीआई की मौद्रिक नीति और बाज़ार के आर्थिक हालात के कारण छोटे बैंक और वित्तीय संस्थान अब फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज़ दरें बढ़ा रहे हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि ज़्यादा ग्राहकों को आकर्षित कर सकें और अपनी सेवाओं को बढ़ावा दे सकें। हालांकि, सुरक्षा और भरोसे के मामले में, ये छोटे संस्थान SBI या ICICI जैसे बड़े सरकारी या निजी बैंकों से थोड़े अलग हो सकते हैं।
FD में निवेश करने के लाभ और ज़रूरी बातें
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने से आपका पैसा बैंक में पूरी तरह सुरक्षित रहता है और इसमें कोई बड़ा जोखिम नहीं होता है। इस पर आपको पूरी अवधि के लिए तय ब्याज दर मिलती है, जिसका भुगतान आप मासिक, तिमाही या मैच्योरिटी पर पा सकते हैं। हालांकि, छोटे वित्त बैंक और NBFCs में ज़्यादा ब्याज मिलने पर आपको बैंक की विश्वसनीयता और सुरक्षा की जांच ज़रूर कर लेनी चाहिए, जबकि सरकारी बैंकों की FD में ब्याज थोड़ा कम होने पर भी सुरक्षा सबसे अधिक होती है।








