
फिरोजाबाद की एक आम-सी नौकरी छोड़कर घर पर चूड़ियों की डिजाइनिंग शुरू करने वाले राजवीर प्रताप सिंह की मेहनत ने उन्हें लाखों की इनकम वाला व्यवसायी बना दिया है। लगभग 20 साल पहले जब उन्होंने ये काम शुरू किया था, तो उनके पास बहुत कम संसाधन थे, लेकिन उन्होंने बारीकी से कारीगरी सीखकर धीरे-धीरे काम को बढ़ाया। आज उनके घर पर चूड़ियों के कारीगर काम करते हैं और रोजाना सुबह से शाम तक नई डिजाइनें तैयार करके मार्केट में भेजते हैं।
कच्चे माल से तैयारियों का सफर
राजवीर के मुताबिक, उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कच्चे माल को फिरोजाबाद के कारखानों से लाया जाता है, जो मूल रूप से सादा चूड़ियों का तोड़ा होता है। इसकी कीमत लगभग 50 रुपए प्रति तोड़ा होती है। इस कच्चे माल की छटाई और पुताई उनके यहां होती है। इसके बाद चूड़ियों को कैमिकल्स और नग की मदद से रंगीन और आकर्षक बनाया जाता है। यह सारा काम उनके घर पर काम करने वाले कारीगरों और स्थानीय महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो इस प्रोसेस में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
महिलाओं की भूमिका और कारीगरी
चिड़िया की तरह नाजुक लेकिन मेहनती महिलाएं अपने घर के कामों के बीच चूड़ियों की बेलनिंग और डिजाइनिंग में हाथ बटाती हैं। लकड़ी के बेलन की मदद से चूड़ियों को फंसाकर उन पर डिजाइन तैयार की जाती है। इसके बाद कैमिकल लगाकर चूड़ी बनाएं जाते हैं। सूखने के बाद इन चूड़ियों के तोड़े बनाए जाते हैं जो बाजार में भेजे जाते हैं। इस काम में स्थानीय महिलाओं के शामिल होने से उन्हें आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है।
आर्थिक लाभ और व्यवसाय का विस्तार
राजवीर बताते हैं कि आज इस कारोबार को शुरू करने के लिए लगभग पचास हजार रुपए की जरूरत होती है। एक तोड़े की कीमत 160 रुपये के आसपास रहती है, और हर महीने तीन हजार से ज्यादा तोड़े तैयार होकर बाजार जाते हैं। इससे राजवीर को हजारों लोगों का रोजगार मिलता है और लाखों रुपए की इनकम होती है। यह व्यवसाय छोटे पैमाने पर शुरू हुआ था, लेकिन अब ये उद्योग की एक महत्वपूर्ण कड़ी बन चुका है।
मेहनत से बनी मजबूत पहचान
राजवीर की कहानी साबित करती है कि कम संसाधनों और घर से शुरू किए गए काम में भी अगर लगन और मेहनत हो तो बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। छोटे-छोटे गांवों की महिलाएं और कारीगर इनके साथ जुड़कर न केवल स्वयं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहे हैं, बल्कि स्थानीय उद्योग को भी सफल बना रहे हैं। यह चूड़ी व्यवसाय एक उदाहरण है कि किस तरह छोटे व्यवसाय से सामूहिक आर्थिक विकास हो सकता है।
यह कहानी रसोई के बाहर शुरू हुई मेहनत की है, जिसने फिरोजाबाद के एक छोटे से परिवार को एक सफल चूड़ी व्यापार में बदल दिया। मेहनत और लगन के साथ जोश भी जरूरी है, और राजवीर के प्रयास यही दिखाते हैं कि छोटे काम में भी बड़ी सफलता छिपी होती है।









