
बेंगलुरु में एक दंपति ने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर एक अनोखा साड़ी का व्यवसाय शुरू किया। उनका लक्ष्य ऐसी खास साड़ियाँ बेचना था जिनकी बुनाई और रंग बिल्कुल अलग हों, और जो ग्राहकों को उनकी दादी-नानी की पुरानी साड़ियों की याद दिलाएँ। आजकल मार्केट में साड़ियों की इतनी वैरायटी है कि लोग अक्सर भ्रमित हो जाते हैं। इसी भ्रम को दूर करने और ग्राहकों तक अद्वितीय साड़ियाँ पहुँचाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए, इस कपल ने दिन-रात मेहनत करना शुरू किया।
यह कहानी सिर्फ एक व्यवसाय की नहीं, बल्कि एक जुनून की है। एक कपल ने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने का फैसला किया। उनका मकसद था पारंपरिक साड़ियों को एक नया जीवन देना। इसी सोच और समर्पण के साथ ‘नेरिज स्टोरी’ (Nerige Story) की शुरुआत हुई, जहाँ पुरानी कला और डिज़ाइन को नई पहचान दी जाती है।
एक जोड़े ने शुरू की ‘नेरिगे स्टोरी
बेंगलुरु में रहने वाले पूजा नाडिग (सॉफ्टवेयर टेस्टिंग) और शशांक सिवापुरापु (सेल्स/एमबीए) आम नौकरीपेशा जीवन जी रहे थे। एक दिन पूजा को यह महसूस हुआ कि मॉडर्न स्टाइलिंग के कारण लोग अपनी पारंपरिक विरासत को भूल रहे हैं, और पारंपरिक डिज़ाइन की साड़ियाँ मिलना मुश्किल हो गया है। इसी विचार के साथ, उन्होंने भारतीय साड़ी की लुप्त होती विरासत को बचाने के लिए साल 2021 में मिलकर ‘नेरिगे स्टोरी’ (Nerige Story) नामक पहल की शुरुआत की।
केवल ₹3 लाख के शुरुआती निवेश से किया बिज़नेस
जॉब के साथ ‘नेरिगे स्टोरी’ ब्रांड को संभालना मुश्किल होने लगा, इसलिए पूजा और शशांक ने एक बड़ा और कठिन फैसला लिया: नौकरी छोड़कर पूरी तरह से इस ब्रांड पर ध्यान देना। उनके पास कपड़ा उद्योग का कोई अनुभव नहीं था और न ही बड़ा निवेश। उन्होंने केवल ₹3 लाख के शुरुआती निवेश से शुरुआत की और अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया। शुरुआत में, उन्होंने छोटे ऑर्डर लिए, सोशल मीडिया (फेसबुक/इंस्टाग्राम) पर पोस्ट किया। पूजा खुद प्रोडक्ट फोटोशूट करती थीं, जबकि शशांक मार्केटिंग संभालते थे। पैकेजिंग से लेकर हर छोटे-बड़े खर्च और काम को वे दोनों मिलकर देखते थे, यहाँ तक कि पूजा फिटनेस और ज़ुम्बा क्लास भी लेती रहीं ताकि खर्च निकल सके।
साड़ियों की प्लेट्स में छिपी कहानी
पूजा और शशांक ने अपनी पहल का नाम ‘नेरिगे स्टोरी’ रखा, जहाँ ‘नेरिगे’ का कन्नड़ में अर्थ ‘साड़ी की प्लेट्स’ होता है—वे तहें जो साड़ी पहनने पर बनती हैं और हर तह में एक कहानी छिपी होती है। इसी विचार से प्रेरित होकर, उन्होंने साउथ इंडियन हैंडलूम पर फोकस करते हुए पारंपरिक गडवाल, बनारसी और कांजीवरम जैसी साड़ियाँ डिज़ाइन करना शुरू किया। उनकी एक साड़ी को डिज़ाइन करने में 15 से 20 दिन लगते हैं। वे हर साड़ी को उचित दाम पर बेचते हैं और उसका नाम उसके उत्पत्ति स्थान की स्थानीय भाषा में रखते हैं, जिससे ग्राहक को यह महसूस होता है कि वे केवल कपड़ा नहीं, बल्कि इतिहास का एक अंश खरीद रहे हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान भी ‘नेरिगे स्टोरी’ ने हार नहीं मानी। जब अधिकतर लोग लॉकडाउन के कारण घरों में बंद थे, तब इस कपल ने ऑनलाइन लाइव सेशन शुरू किए। इन सेशंस में कारीगरों (आर्टिसन्स) को मौका मिला कि वे अपनी कहानियाँ सीधे दर्शकों के साथ साझा करें। इस पहल से ग्राहकों और कारीगरों के बीच एक मजबूत जुड़ाव (कनेक्शन) स्थापित हुआ, और काम लगातार चलता रहा।
नेरिगे स्टोरी पर साड़ियों की शानदार वैरायटी
‘नेरिगे स्टोरी’ की वेबसाइट पर साड़ियों की सैकड़ों वैरायटी उपलब्ध हैं। इनमें उनका विंटेज कलेक्शन खास है, जिसमें सिल्क, कॉटन और ज़री वर्क वाली साड़ियाँ शामिल हैं, जिनकी कीमत ₹2,000 से ₹5,000 के बीच है। हर साड़ी के साथ एक बिना सिला हुआ (अनस्टिच्ड) ब्लाउज पीस भी जुड़ा होता है। विंटेज के अलावा, उनके अन्य लोकप्रिय कलेक्शन में सांझ कलेक्शन, ब्रह्मोत्सवम कलेक्शन, हेरिटेज कलेक्शन, और रूह ए बनारस कलेक्शन भी शामिल हैं, जो ग्राहकों को कई विकल्प देते हैं।
साड़ियों से आगे ‘नेरिगे स्टोरी’ का विस्तार
‘नेरिगे स्टोरी’ अब सिर्फ साड़ियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ब्रांड ब्लाउज, महिलाओं की शर्ट और पुरुषों की शर्ट जैसी अन्य वैरायटी भी पेश करता है। उन महिलाओं के लिए जिन्हें साड़ी पहनने में मुश्किल होती है, प्री-ड्रेप्ड (पहने हुए जैसी तैयार) साड़ियों का विशेष विकल्प भी उपलब्ध है। यह ब्रांड अपनी पहुँच को लगातार बढ़ा रहा है और अब भारत के बाहर भी कई अलग-अलग देशों में अपना कारोबार फैला रहा है।
फैशन बैकग्राउंड न होने पर भी ‘नेरिगे स्टोरी’ की बड़ी सफलता
यह जानकर हैरानी होती है कि बिना किसी फैशन बैकग्राउंड या ज्ञान के भी आज ‘नेरिगे स्टोरी’ ने बड़ी सफलता हासिल की है। उनके इंस्टाग्राम पर 1 लाख 65 हजार से अधिक फॉलोअर्स हैं और वे हर महीने ₹1 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं। ऐसे समय में जब हर जगह ‘फास्ट फैशन’ का चलन है, यह ब्रांड पारंपरिक और टिकाऊ (Sustainable) कारीगरी को बढ़ावा दे रहा है, जो उनकी कामयाबी का मुख्य कारण है।









