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भारत तोड़ेगा म्यांमार? 1971 दोहराने की तैयारी, बांग्लादेश के 100km अंदर घुसी अराकान आर्मी, चीन-अमेरिका हैरान!

अराकान आर्मी के प्रमुख ने भारत को दोस्ती का खुला ऑफर दिया है, जिससे दक्षिण एशिया की राजनीति में भूचाल आ गया है। म्यांमार टूट रहा है, बांग्लादेश डरा हुआ है और चीन परेशान है। क्या 1971 दोहराया जाएगा?

By GyanOK

इतिहास एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ा है, जहाँ दक्षिण एशिया का नक्शा हमेशा के लिए बदल सकता है । 1971 की यादें ताजा हो गई हैं, जब भारत के हस्तक्षेप से एक देश दो हिस्सों में बंट गया था और बांग्लादेश का जन्म हुआ था। आज, 50 से अधिक वर्षों बाद, वैसी ही एक और कहानी जन्म ले रही है, लेकिन इस बार किरदार और मैदान दोनों अलग हैं । इस नई कहानी का नायक है अराकान आर्मी (AA), एक विद्रोही संगठन जो अब सिर्फ अपनी आजादी नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की भू-राजनीति को बदलने की ताकत रखता है।​

भारत तोड़ेगा म्यांमार? 1971 दोहराने की तैयारी, बांग्लादेश के 100km अंदर घुसी अराकान आर्मी, चीन-अमेरिका हैरान!
भारत तोड़ेगा म्यांमार? 1971 दोहराने की तैयारी, बांग्लादेश के 100km अंदर घुसी अराकान आर्मी, चीन-अमेरिका हैरान!

यह सब 2021 में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के साथ शुरू हुआ। सेना के सत्ता पर काबिज होते ही देश में अराजकता फैल गई और इसी माहौल में अराकान आर्मी एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी । आज हालत यह है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत के 17 में से 14 से अधिक जिलों पर अराकान आर्मी का कब्जा है और उसने बांग्लादेश से सटी पूरी 271 किलोमीटर की सीमा पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है । यह संगठन अब एक नए राष्ट्र की घोषणा करने की तैयारी में है, जो 1971 के बाद दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव होगा।​

बांग्लादेश की बढ़ती बेचैनी और भारत की ओर उम्मीदें

अराकान आर्मी का उदय बांग्लादेश के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा का संकट बन गया है । रिपोर्ट्स के मुताबिक, अराकान आर्मी के लड़ाके बांग्लादेश के अंदर कॉक्स बाजार और नाफ नदी के आसपास के इलाकों में 100 किलोमीटर तक घुसपैठ कर चुके हैं। हालाँकि ढाका सरकार इस बात को खुलकर स्वीकार नहीं कर रही है, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरें और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं ।​

इस संकट ने बांग्लादेश को, जो पिछले कुछ समय से भारत विरोधी रुख अपनाए हुए था, अब मदद के लिए भारत की ओर देखने को मजबूर कर दिया है । बांग्लादेश ने तुर्की और पाकिस्तान से भी मदद मांगी, लेकिन दोनों ही देश अपने आंतरिक संकटों में इतने उलझे हुए हैं कि वे कोई ठोस मदद नहीं कर सकते। ऐसे में बांग्लादेश के पास भारत के साथ मिलकर इस संकट का हल निकालने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।​

भारत का ‘धर्म संकट’: चुनौती या सुनहरा मौका?

भारत इस समय एक बेहद जटिल कूटनीतिक चौराहे पर खड़ा है। एक तरफ रखाइन में चल रहे संघर्ष के कारण हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत में घुसने का खतरा है, तो दूसरी तरफ एक बड़ा रणनीतिक अवसर भी है ।​

  • अरबों का निवेश दांव पर: भारत ने म्यांमार के सितवे पोर्ट में अरबों डॉलर का निवेश किया है। यह बंदरगाह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को समुद्र से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। रखाइन प्रांत अब अराकान आर्मी के नियंत्रण में है, इसलिए इस पोर्ट का भविष्य सीधे तौर पर भारत और अराकान आर्मी के संबंधों पर निर्भर करेगा ।​
  • चीन को घेरने का मौका: चीन ने म्यांमार की सेना का समर्थन किया है ताकि वह रखाइन में स्थित क्याउक्फ्यू पोर्ट के जरिए बंगाल की खाड़ी तक अपनी पहुंच बना सके । अगर भारत समय रहते अराकान आर्मी से मजबूत संबंध बना लेता है, तो वह न केवल अपने सितवे पोर्ट को सुरक्षित कर सकता है, बल्कि इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को भी रोक सकता है।​
  • भारत का साइलेंट मिशन: रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने स्थिति का जायजा लेने के लिए एक गुप्त मिशन म्यांमार और अराकान क्षेत्र में भेजा है। भारतीय नौसेना ने भी बंगाल की खाड़ी में अपने युद्धपोत INS किलटान और INS कमोर्टा को तैनात कर दिया है। यह एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब दर्शक बनकर नहीं रहेगा।

ग्रेट गेम में चीन और अमेरिका की भूमिका

यह लड़ाई सिर्फ म्यांमार या बांग्लादेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा “ग्रेट गेम” बन चुकी है, जिसमें दुनिया की बड़ी ताकतें शामिल हैं।

  • चीन: वह म्यांमार की सैन्य सरकार का समर्थन कर रहा है ताकि भारत को इस क्षेत्र से दूर रखा जा सके और अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को सुरक्षित किया जा सके ।​
  • अमेरिका: कुछ साल पहले अमेरिका ने एक “रीजनल बैलेंस प्लान” का प्रस्ताव दिया था, जिसमें म्यांमार और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक नया देश बनाने की बात थी, ताकि चीन और भारत दोनों को कमजोर किया जा सके। मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि यह पुरानी योजना फिर से सक्रिय हो सकती है।

क्या एक नए देश का जन्म होगा?

अराकान आर्मी के प्रमुख, तुन म्यात नाइंग, ने एक वीडियो बयान में कहा है कि “हम भारत का सम्मान करते हैं और अगर भारत चाहे तो हम उसके दोस्त बन सकते हैं।” यह बयान भारत के लिए एक खुला निमंत्रण है। अराकान आर्मी अब अपना झंडा, संविधान और सरकार बनाने की तैयारी कर रही है ।​

भारत की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, अराकान आर्मी अगले 6 महीनों में म्यांमार और बांग्लादेश के बीच का पूरा दक्षिणी इलाका अपने कब्जे में ले सकती है । अगर ऐसा होता है, तो बंगाल की खाड़ी पर एक नया देश उभरेगा। भारत ने सावधानी बरतते हुए अराकान आर्मी से सीमित संपर्क बनाए रखा है, ताकि अगर नया देश बने तो वह भारत का दोस्त हो, दुश्मन नहीं।​

इतिहास ने एक बार फिर भारत को एक निर्णायक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। 1971 में बंदूक के दम पर एक नया देश बना था, लेकिन 2025 में यह लड़ाई रणनीति और कूटनीति के बोर्ड पर लड़ी जाएगी। भारत का एक सही कदम उसे दक्षिण एशिया में एक नया और भरोसेमंद साथी दे सकता है, जबकि एक गलत कदम पूरे क्षेत्र को दशकों तक अस्थिरता की आग में झोंक सकता है।

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GyanOK
GyanOK एडिटोरियल टीम में काफी अनुभवी पत्रकार एवं कॉपी राइटर हैं जो विभिन्न राज्यों, शिक्षा, रोजगार, देश-विदेश से संबंधित खबरों को कवर करते हैं, GyanOk एक Versatile न्यूज वेबसाइट हैं, इसमें आप समाचारों के अलावा, शिक्षा, मनोरंजन से संबंधित क्विज़ भी खेल सकते हैं।

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