
आजकल सोने और चाँदी जैसी धातुएँ बहुत महँगी हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसी चीज़ भी है जो इनसे कई गुना ज़्यादा महँगी है? इस चीज़ के सिर्फ एक ग्राम की कीमत में आप हज़ारों लक्ज़री कारें खरीद सकते हैं। यह सामग्री इतनी खतरनाक है कि अगर यह फट जाए तो हिरोशिमा जितना बड़ा धमाका कर सकती है।
मैटर और एंटीमैटर क्या है ?
हमारा ब्रह्मांड, जिसमें हवा, पानी, पत्थर और सूरज शामिल हैं, सामान्य पदार्थ (मैटर) से बना है। वहीं, एंटीमैटर इस सामान्य पदार्थ के कणों का ठीक उल्टा रूप है। उदाहरण के लिए, सामान्य इलेक्ट्रॉन पर नेगेटिव चार्ज होता है, जबकि एंटी-इलेक्ट्रॉन पर पॉजिटिव चार्ज होता है। इसी तरह, सामान्य प्रोटॉन पर पॉजिटिव चार्ज होता है और एंटी-प्रोटॉन पर नेगेटिव। जब ये दोनों (मैटर और एंटीमैटर) मिलते हैं, तो उनका पूरा द्रव्यमान (Mass) 100% शुद्ध ऊर्जा में बदल जाता है। एंटीमैटर इतना दुर्लभ और मूल्यवान है कि इसके 1 ग्राम की कीमत लगभग ₹62.5 लाख करोड़ है।
दुनिया का सबसे महंगा पदार्थ
जान लें कि 1995 से 2025 तक, पूरी दुनिया में किए गए सभी प्रयोगों को मिलाकर भी सिर्फ 10 नैनोग्राम (लगभग 0.00000001 ग्राम) एंटीमैटर ही बन पाया है। यह मात्रा इतनी कम है कि इससे एक सेकंड के लिए भी एक बल्ब नहीं जल सकता, जबकि इसे बनाने में अब तक अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं। एंटीमैटर अमेरिका के फर्मीलैब, जर्मनी के GSI और CERN (स्विट्जरलैंड-फ्रांस सीमा पर) जैसी जगहों पर बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए, कणों को प्रकाश की गति के लगभग 99.999 प्रतिशत तक तेज़ करके आपस में टकराया जाता है, जिससे बहुत थोड़ी देर के लिए एंटीमैटर के कण पैदा होते हैं।
दुनिया का सबसे महंगा पदार्थ और उसके उपयोग
एंटीमैटर एक ऐसा पदार्थ है जिसे किसी भी चीज़ से छूने नहीं दिया जाता, क्योंकि यह छूते ही फट जाएगा। इसलिए इसे लगभग -273°C तक बहुत ठंडा करके, शक्तिशाली चुम्बकीय और विद्युत क्षेत्रों की मदद से हवा में तैरते हुए रखा जाता है। यह बेहद उपयोगी है; जैसे, इसकी मदद से मंगल ग्रह की यात्रा 7-9 महीनों के बजाय केवल 1 महीने में पूरी की जा सकती है।
यह बिजली बनाने और कैंसर के इलाज में भी काम आ सकता है। एंटीमैटर इतना महंगा है क्योंकि इसका 1 ग्राम बनाने में दुनिया की सबसे बड़ी मशीन (LHC) को 10 लाख साल तक चलाना पड़ेगा, और इसके हर सेकंड के प्रयोग में लाखों रुपये खर्च होते हैं।









