
भारत देश हजारों प्राचीन और रहस्यमयी मंदिरों के लिए जाना जाता है, कई मंदिर अपने रहस्य और चमत्कारों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं. ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल में है, जिसका नाम है श्री यागंती उमामहेश्वर मंदिर. ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. ये अनोखा मंदिर जितना सुंदर है उससे ज्यादा उसमे रहस्य छिपे हुए है. वैज्ञानिक भी इस रहस्य को समझ नही पाएं. बताया जा रहा है इस मंदिर में नंदी भगवान की मूर्ति लगातार बड़ी होती जा रही है, ऐसा कैसा हो रहा है ये रहस्य अभी तक कोई समझ नही पाया है.

हर साल बढ़ रहा है आकार
वैज्ञानिकों और लोगों का मानना है कि इस मंदिर में नंदी की मूर्ति का आकार हर 20 साल में इस इंच बढ़ रहा है. अगर इसी तरह इसका आकार बढ़ता गया तो मंदिर के खंभों को हटाना पड़ेगा. इसके अलावा कई लोगों का मानना है कि नंदी की ये विशाल मूर्ति कलयुग के अंत में जीवित हो जाएगी, उसके बाद महाप्रलय आएगा और कलयुग समाप्त हो जाएगा.
मंदिर की प्रसिद्ध पौराणिक कथा
इस विशाल मंदिर को वैष्णव परंपराओं के अनुसार बनाया गया है, जिसे 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर बुक्का राय ने बनाया था और जिसमे प्राचीन पल्लव, चोल, चालुक्य और विजयनगर के राजाओं की कला को दिखाया गया है. इस मंदिर के निर्माण को लेकर एक पुरानी कहानी है, जिसके अनुसार इस शिव मंदिर की स्थापना महर्षि अगस्त्य ने की थी.

कहा जाता है जब शिव जी इस स्थान पर प्रकट हुए तो उन्हें ये जगह कैलाश पर्वत जैसी दिखी, इसलिए इस स्थान पर मंदिर बनाना ठीक रहेगा. इसके बाद महर्षि अगस्त्य ने शिवजी से विनती की कि वे भक्तों को एक ही पत्थर में उमा महेश्वर के रूप में दर्शन दें और शिव जी इस बात को मान जाएं और तभी से इस मंदिर में उनकी अर्धनारीश्वर के रूप में पूजा की जाती है.
इस स्थान पर कभी नही दिखते कौवे
पुराणों में बताया गया है कि जब महर्षि अगस्त्य इस स्थान पर ध्यान कर रहे तो कौवे उन्हें परेशान कर रहे थे, जिस वजह से उन्हें गुस्सा आ गया और गुस्से में उन्होंने कौवों को श्राप दिया कि वे इस जगह पर कभी दिखाई ने दें. तभी से इस मंदिर के आसपास कोई कौवा नहीं दिखाई देता है.