
बिहार में SIR चुनाव के समय आधार कार्ड को लेकर काफी विवाद हुआ, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग ने आधार को पहचान पत्र के रूप में मंजूरी दे दी। पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार से आधार कार्ड के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आधार कानून के हिसाब से, आधार कार्ड को जन्म की तारीख, रहने का पता, या नागरिकता का पक्का सबूत नहीं माना जा सकता है।
आधार कार्ड को लेकर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा
आधार कार्ड को लेकर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ किया है कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आधार नंबर देना जरुरी नहीं है, यह केवल आप पर निर्भर करता है। उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव आयोग ने यह जानकारी सिर्फ गणना फॉर्म में मांगी थी, लेकिन किसी भी कानून के तहत इसे देना अनिवार्य नहीं है। आधार कार्ड को न तो नागरिकता का प्रमाण माना जाता है और न ही निवास का प्रमाण। यानी, अगर आप आधार नंबर नहीं देना चाहते, तो भी आपका काम नहीं रुकेगा।
आधार कार्ड जन्मतिथि या नागरिकता का पक्का सबूत नहीं
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि आधार कार्ड जन्मतिथि या नागरिकता का पक्का सबूत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कारण, 2023 के बाद बने या डाउनलोड किए गए आधार कार्ड पर यह बात लिखी होती है। चुनाव आयोग आधार कार्ड को स्वीकार कर रहा है और आगे भी करेगा, यानी की गणना के फॉर्म में भी करेगा। हालाँकि व्यक्ति को अपनी योग्यता साबित करने के लिए दूसरे जरुरी डाक्यूमेंट्स भी दिखने होंगे। इसका मतलब है कि सिर्फ आधार कार्ड से यह साबित नहीं होगा कि आप नागरिक हैं या आपकी जन्मतिथि क्या है।
#WATCH | Patna, Bihar: Chief Election Commissioner (CEC) Gyanesh Kumar says, "…According to the Supreme Court's orders and under the Aadhaar Act, Aadhaar cannot be considered proof of date of birth, proof of residence, or proof of citizenship."
— ANI (@ANI) October 5, 2025
"The Election Commission… pic.twitter.com/ilIty3OjSe