केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को औपचारिक मंजूरी दे दी गई है। यह फैसला देश के लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों के लिए दिवाली के बाद एक बड़े तोहफे के रूप में देखा जा रहा है, जिनकी सैलरी, भत्ते और पेंशन में अब बंपर बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है।

क्या है यह बड़ा फैसला और इसका मतलब क्या है?
कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की संरचना, कार्य-अवधि (Terms of Reference – ToR) और समय-सीमा को मंजूरी दे दी है । इसका सीधा मतलब है कि अब एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा जो केंद्रीय कर्मचारियों के मौजूदा वेतन ढांचे (salary structure), भत्तों और पेंशन की समीक्षा करेगी और आने वाले 10 सालों के लिए नई सिफारिशें देगी। यह आयोग अपनी रिपोर्ट 18 महीनों के भीतर सरकार को सौंपेगा।
कितनी बढ़ सकती है सैलरी? फिटमेंट फैक्टर का बड़ा रोल
हालांकि आयोग की अंतिम सिफारिशें आने में अभी वक्त है, लेकिन शुरुआती अनुमानों के मुताबिक कर्मचारियों की सैलरी में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर (fitment factor) को 1.8 गुना तक बढ़ाया जा सकता है । अगर ऐसा होता है, तो कर्मचारियों के मूल वेतन (basic pay) में लगभग 80% तक की भारी वृद्धि हो सकती है । उदाहरण के तौर पर, लेवल-1 के केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी जो अभी ₹18,000 है, वह बढ़कर ₹44,000 तक हो सकती है । इसी तरह, न्यूनतम पेंशन भी ₹9,000 से बढ़कर ₹25,000 तक होने की संभावना है।
कब से लागू होंगी नई सिफारिशें? मिलेगा 2 साल का एरियर?
सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को सैद्धांतिक मंजूरी इसी साल जनवरी 2025 में दे दी थी, लेकिन इसके औपचारिक गठन और ToR को अब मंजूरी मिली है । आमतौर पर, वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने और उसे लागू करने में 2 से 3 साल का समय लग जाता है । 7वां वेतन आयोग फरवरी 2014 में गठित हुआ था और उसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हुई थीं।
इसी पैटर्न को देखते हुए, यह उम्मीद की जा रही है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से पूर्वव्यापी रूप से (retrospectively) लागू होंगी । इसका मतलब है कि भले ही आयोग की रिपोर्ट 2028 में आए और लागू हो, कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन जनवरी 2026 से ही मिलेगा। इस स्थिति में, उन्हें लगभग 2 साल का एरियर (arrears) भी मिलेगा, जो एक बड़ी राहत की बात होगी।
वेतन आयोग क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
भारत में हर 10 साल में एक वेतन आयोग का गठन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य समय के साथ बढ़ती महंगाई (inflation), जीवनयापन की लागत (cost of living) और अन्य आर्थिक कारकों को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को संशोधित करना है। यह आयोग न केवल वेतन बढ़ाता है, बल्कि मकान किराया भत्ता (House Rent Allowance – HRA), यात्रा भत्ता (Travel Allowance – TA), और अन्य भत्तों की भी समीक्षा करता है।
इसकी सिफारिशों का असर सिर्फ केंद्रीय कर्मचारियों पर ही नहीं पड़ता। राज्य सरकारें, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (Public Sector Undertakings – PSUs) और स्वायत्त निकाय भी अक्सर केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को अपने कर्मचारियों के लिए अपनाते हैं । इस प्रकार, यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था पर भी एक बड़ा प्रभाव डालता है, क्योंकि इससे लोगों की क्रय शक्ति (purchasing power) बढ़ती है और बाजार में खपत (consumption) को बढ़ावा मिलता है।
सरकार और कर्मचारियों के लिए आगे क्या?
आयोग के गठन की मंजूरी के बाद अब सरकार जल्द ही इसके अध्यक्ष और सदस्यों के नामों की घोषणा करेगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, अर्थशास्त्री और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल हो सकते हैं । यह समिति देश भर में विभिन्न कर्मचारी संघों, मंत्रालयों और विशेषज्ञों से व्यापक विचार-विमर्श करेगी। रक्षा, गृह, रेलवे और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) जैसे बड़े मंत्रालयों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी, क्योंकि इनके पास कर्मचारियों की सबसे बड़ी संख्या है। यह एक लंबा और गहन मंथन होगा, जिसके बाद ही अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी।








