
सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वां वेतन आयोग आने की चर्चा तेज़ हो गई है। यह आयोग हर दस साल में बनता है और इससे कर्मचारियों की सैलरी और भत्ते तय होते हैं, साथ ही पेंशन पाने वालों पर भी इसका असर पड़ता है। अभी एक करोड़ से ज़्यादा कर्मचारी और पेंशनर्स सरकार के अगले कदम का इंतज़ार कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही आयोग के काम करने के नियम (ToR) तय हो जाएंगे।
सरकार की मंज़ूरी की ओर बढ़ते कदम
नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC-JCM) के वरिष्ठ सदस्य और स्टाफ साइड के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने हाल ही में बताया कि ToR के मसौदे को सरकार जल्दी ही हरी झंडी दे सकती है। उनका कहना है कि अब प्रक्रिया में अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए। यदि ToR को स्वीकृति मिल जाती है, तो वेतन, भत्ते और पेंशन से जुड़े मुद्दों पर सरकार और कर्मचारियों के बीच औपचारिक बातचीत का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
मूल वेतन की गणना में बड़ा बदलाव प्रस्तावित
जनवरी 2024 में सरकार ने स्टाफ साइड से ToR पर सुझाव मांगे थे, जिस पर NC-JCM ने एक विस्तृत ड्राफ्ट सौंपा। सबसे अहम प्रस्ताव है न्यूनतम वेतन की गणना में बदलाव। अब तक की व्यवस्था में जहां 3 यूनिट को आधार बनाया जाता था, वहीं नया प्रस्ताव 5 यूनिट को मानक बनाने की बात करता है। इस बदलाव का उद्देश्य माता-पिता को भी आश्रित मानते हुए वेतन ढांचे को अधिक यथार्थवादी बनाना है।
शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि आज की सामाजिक संरचना में माता-पिता की जिम्मेदारी केवल नैतिक नहीं, बल्कि कानूनी भी बन गई है। उन्होंने भरण-पोषण अधिनियम, 2022 का हवाला देते हुए माता-पिता की जिम्मेदारी को वेतन निर्धारण में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रमुख मांगों को मिल रहा व्यापक समर्थन
वेतन आयोग के लिए कर्मचारियों की तरफ से कुछ और अहम प्रस्ताव दिए गए हैं, जिन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है:
- वेतन स्तरों का विलय, जिससे प्रोन्नति की राह सुगम हो।
- कम्युटेड पेंशन की 12 साल बाद बहाली और हर 5 साल में पेंशन की समीक्षा।
- महंगाई भत्ता (DA) को मूल वेतन में शामिल करने की पुरानी परंपरा को फिर से लागू करने की मांग।
महंगाई दर में निरंतर वृद्धि को देखते हुए DA अब 55% तक पहुंच चुका है। यही कारण है कि इसे मूल वेतन में जोड़ने की मांग फिर से ज़ोर पकड़ने लगी है।
पैनल गठन में देरी और संभावित टाइमलाइन का सरकना
हालांकि 8th Pay Commission को जनवरी 2024 में सैद्धांतिक मंज़ूरी मिल चुकी थी, लेकिन अब तक इसका पैनल नहीं बना है। अगर ToR को जल्द मंज़ूरी नहीं मिली, तो इसके कार्यान्वयन की संभावित तारीख 1 जनवरी 2026 से आगे बढ़कर 2027 तक खिसक सकती है। यह देरी लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए चिंता का विषय बन रही है।
8वें वेतन आयोग का महत्व क्यों है इतना अधिक?
भारत में हर दशक के अंत में एक Pay Commission का गठन किया जाता है, जो केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन संरचना, सेवानिवृत्ति लाभ और जीवनस्तर को निर्धारित करता है। यह आयोग केवल वेतन वृद्धि की बात नहीं करता, बल्कि कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा, काम के माहौल और भविष्य की वित्तीय स्थिरता को भी दिशा देता है।
इसलिए, 8वें वेतन आयोग का गठन और उसका समय पर कार्यान्वयन देशभर में लाखों परिवारों की आर्थिक दशा और मनोबल को सीधा प्रभावित करेगा।