
केंद्र सरकार ने इंटरनेट को महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अब 50 लाख से ज़्यादा यूज़र्स वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में अपने स्थानीय अधिकारी नियुक्त करने होंगे और नियमित तौर पर रिपोर्ट देनी होगी।
सरकार ने यह भी साफ किया है कि नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसे OTT प्लेटफॉर्म सेंसर बोर्ड (CBFC) के दायरे में नहीं आएंगे, बल्कि उन पर आईटी (IT) नियमों के तहत नज़र रखी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल दुनिया में अश्लीलता को रोकना और नियमों का पालन सुनिश्चित करना है।
OTT प्लेटफॉर्म्स की फिल्मों और सीरीज पर सरकार की नजर
अब ओटीटी (OTT) पर दिखाए जाने वाले कंटेंट को लेकर सरकार ने नियम सख्त कर दिए हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, अब इन प्लेटफॉर्म्स को ‘डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड’ के नियमों का पालन करना होगा।
इसका मतलब है कि नेटफ्लिक्स और अमेज़न जैसे प्लेटफॉर्म्स अब ऐसी कोई भी चीज नहीं दिखा पाएंगे जिसे कानूनन बैन किया गया है। साथ ही, उन्हें हर फिल्म या सीरीज पर उम्र की श्रेणी (जैसे 13+, 18+) साफ तौर पर लिखनी होगी, ताकि दर्शक यह तय कर सकें कि वह कंटेंट उनके बच्चों के लिए सही है या नहीं।
OTT और इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट की अब खैर नहीं
सरकार ने इंटरनेट और OTT प्लेटफॉर्म्स पर गलत या अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए एक मजबूत तीन-स्तरीय (3-Level) सिस्टम बनाया है। इसके तहत पहले खुद प्लेटफॉर्म को कंटेंट पर नजर रखनी होती है, फिर उनकी नियामक संस्थाएं निगरानी करती हैं और अंत में केंद्र सरकार कड़ा एक्शन लेती है।
इसी सख्ती के चलते अब तक 43 OTT प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगाई जा चुकी है। आईटी नियमों के तहत अब अश्लील वीडियो, बच्चों के लिए हानिकारक सामग्री, देश की सुरक्षा को खतरा पहुँचाने वाले कंटेंट और धोखेबाज डीपफेक (Deepfake) वीडियो बनाना या शेयर करना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
सरकार के नए कड़े नियम
सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए अब सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब इन कंपनियों को एक ‘शिकायत अधिकारी’ रखना होगा, जो गैर-कानूनी कंटेंट से जुड़ी शिकायतों को 72 घंटों के भीतर हल करेगा। अगर मामला किसी की प्राइवेसी, नकल या अश्लीलता (नग्नता) से जुड़ा है, तो उस कंटेंट को मात्र 24 घंटे के अंदर हटाना होगा।
इसके अलावा, 50 लाख से ज़्यादा यूजर्स वाले बड़े प्लेटफॉर्म्स को ऑटोमेटेड तकनीक (AI टूल्स) का इस्तेमाल करना होगा ताकि गलत जानकारी को फैलने से रोका जा सके। उन्हें हर महीने एक रिपोर्ट भी देनी होगी कि उन्होंने कितनी शिकायतों पर कार्रवाई की है।
नियम तोड़े तो होगी कानूनी कार्रवाई
सरकार ने स्पष्ट किया है कि व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए नए IT नियमों का पालन करना अनिवार्य है। अगर किसी “गंभीर या संवेदनशील” मैसेज के असली स्रोत (Origin) का पता लगाने में ये कंपनियां कानून एजेंसियों की मदद नहीं करती हैं, तो उन्हें मिलने वाली कानूनी सुरक्षा (Safe Harbour) छीन ली जाएगी।
ऐसी स्थिति में, इन कंपनियों पर न केवल जुर्माना लगाया जा सकता है, बल्कि IT एक्ट की धारा 79 के तहत मुकदमा भी चलाया जा सकता है। सरल शब्दों में, प्लेटफॉर्म्स अब थर्ड-पार्टी कंटेंट की जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगे।









