
योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को उत्तराखंड में एक बड़ा झटका लगा है। पिथौरागढ़ में पतंजलि के घी का एक सैंपल जाँच में फेल हो गया। इस मामले में, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पतंजलि कंपनी पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही, घी बेचने वाले वितरकों और दुकानदारों पर भी 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह कार्रवाई गुणवत्ता मानकों पर खरे न उतरने के कारण की गई है।
पतंजलि ने लैब रिपोर्ट पर उठाए सवाल
पतंजलि ने कोर्ट के फैसले को गलत बताया है और सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट लिखकर परीक्षण (टेस्टिंग) की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। कंपनी का कहना है कि जिस रेफरल लैब में पतंजलि के गाय के घी का परीक्षण किया गया था, उसे राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त बोर्ड (NABL) से इस काम की मान्यता नहीं मिली हुई थी। इसलिए, कंपनी के अनुसार, उस लैब द्वारा किया गया टेस्ट मान्य नहीं है। पतंजलि ने इसे ‘हास्यास्पद और घोर आपत्तिजनक’ बताया है कि एक अमानक (सब-स्टैंडर्ड) लैब ने उनके बेहतरीन गाय के घी को ‘घटिया’ (सब-स्टैंडर्ड) घोषित कर दिया।
पतंजलि का कानूनी पक्ष
पतंजलि ने अपने उत्पाद के नमूने को असफल घोषित करने के निर्णय को चुनौती दी। उनका मुख्य तर्क यह था कि जिस नियम या पैरामीटर के आधार पर नमूने की जाँच की गई, वह उस समय लागू ही नहीं था, इसलिए जाँच कानूनी तौर पर गलत थी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब नमूने का दुबारा परीक्षण (re-test) किया गया, तब तक उसकी समय सीमा (expiry date) निकल चुकी थी, और कानून के अनुसार इस तरह का पुन: परीक्षण मान्य नहीं होता।
कंपनी ने हाल ही में अपनी सफाई भले ही दी हो, लेकिन पतंजलि पिछले कुछ सालों से लगातार विवादों में फँसी हुई है। एक समय यह ब्रांड भारत का सबसे ताकतवर स्वदेशी नाम बन गया था। हालांकि, बाद में कंपनी को व्यापार में नुकसान झेलना पड़ा, उस पर कई केस दर्ज हुए, जिससे लोगों के बीच इसकी विश्वसनीयता (Credibility) पर भी सवाल उठने लगे।
पतंजलि कहा कर रही है गलती ?
पतंजलि कंपनी ने एक बड़ी ग़लती यह की कि उन्होंने सही रिसर्च और अनुभव के बिना ही कई नए बिज़नेस सेक्टरों में हाथ आज़माना शुरू कर दिया। हालाँकि उनकी पकड़ आयुर्वेद और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मज़बूत थी, लेकिन उन्होंने कपड़ों से लेकर टेलीकॉम तक में प्रयोग किए, जो असफल रहे। उदाहरण के लिए, जब कोलगेट जैसी कंपनियाँ टूथपेस्ट में प्रतिस्पर्धा कर रही थीं, तब पतंजलि ने कपड़ों का ब्रांड ‘परिधान’ लॉन्च कर दिया। इसके बाद, उन्होंने वॉट्सऐप को टक्कर देने के लिए ‘किंबो’ ऐप लॉन्च किया, जो कुछ ही महीनों में बंद हो गया। कंपनी के ऐसे जल्दबाज़ी वाले और बिना तैयारी के फैसलों ने बाज़ार में उनके भरोसे को काफ़ी नुकसान पहुँचाया।
सप्लाई चेन की समस्याएँ
कंपनी की सप्लाई चेन (आपूर्ति श्रृंखला) समय के साथ कमज़ोर हो गई थी। इस कारण, कंपनी अपने पसंदीदा प्रोडक्ट्स को सही समय पर दुकानों तक नहीं पहुँचा पा रही थी। डिलीवरी में इतनी ज़्यादा देरी होने लगी कि कई बार उत्पाद ग्राहकों तक पहुँचने से पहले ही एक्सपायरी डेट के नज़दीक आ जाते थे। इस खराब व्यवस्था के चलते, दुकानदारों और ग्राहकों का कंपनी पर भरोसा कम होता चला गया।
कंपनी की सप्लाई चेन में बड़ी समस्या
कंपनी की सप्लाई चेन (आपूर्ति श्रृंखला) में बड़ी समस्याएँ आ गई थीं, जिससे वह अपने लोकप्रिय प्रोडक्ट्स को सही समय पर दुकानों तक नहीं पहुँचा पा रही थी। डिलीवरी में बहुत ज़्यादा देरी होने लगी थी, जिसके कारण कई बार उत्पाद ग्राहकों तक पहुँचने से पहले ही एक्सपायरी डेट के करीब आ जाते थे। इस खराब व्यवस्था की वजह से, दुकानदारों और ग्राहकों का कंपनी पर भरोसा लगातार कम होता गया।









