
आयकर विभाग ने ITR फाइलिंग की प्रक्रिया को इतना सरल और डिजिटल बना दिया है कि अब वेतनभोगी (Salaried) और साधारण आय वाले लोगों के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की सेवाएं लेना आवश्यक नहीं रह गया है। सरकार का यह बड़ा फैसला तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित नए पोर्टल के उपयोग से संभव हुआ है।
ITR फाइलिंग हुई आसान: CA की ज़रूरत क्यों नहीं?
आयकर विभाग ने ITR फाइलिंग को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं:
- AI आधारित पोर्टल: आयकर विभाग का ई-फाइलिंग पोर्टल (www.incometax.gov.in) अब AI-आधारित है। यह पोर्टल करदाताओं को स्टेप-बाय-स्टेप गाइडेंस देता है, जिससे गलती होने की संभावना कम हो जाती है।
- प्री-फिल्ड डेटा (Pre-Filled Data): सरकार ने ITR फॉर्म में प्री-फिल्ड डेटा की सुविधा शुरू की है। इसका मतलब है कि आपकी आय, TDS, बैंक से मिला ब्याज, और शेयर बाज़ार के कुछ निवेशों की जानकारी ITR फॉर्म में पहले से भरी हुई मिलती है। इससे करदाता को केवल डेटा की जाँच करनी होती है, और उन्हें मैन्युअल रूप से दर्ज करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
- सरल फॉर्म (ITR-1 और ITR-4):
- ITR-1 (सहज): यह फॉर्म विशेष रूप से उन वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए है जिनकी आय सीमित है (जैसे सैलरी, ब्याज और 5000 रुपये तक की कृषि आय)।
- ITR-4 (सुगम): यह छोटे कारोबारियों और पेशेवरों के लिए है जिनकी आय एक निश्चित सीमा के भीतर होती है।
- इन सरल फॉर्म्स और प्री-फिल्ड डेटा की मदद से, करदाता खुद ही अपना ITR आसानी से दाखिल कर सकते हैं।
- ऑफलाइन यूटिलिटी टूल: विभाग ने एक्सेल-आधारित यूटिलिटी टूल भी लॉन्च किए हैं, जो उन लोगों को ऑफलाइन डेटा भरने की सुविधा देते हैं जिनके पास लगातार इंटरनेट एक्सेस नहीं होता।
CA की ज़रूरत किसे है?
भले ही सरकार ने ITR फाइलिंग को सरल बना दिया है, लेकिन कुछ जटिल मामलों में CA की मदद लेना आज भी ज़रूरी है:
- जटिल आय स्रोत: यदि आपकी आय के कई स्रोत हैं (जैसे सैलरी, फ्रीलांसिंग, किराया, और विदेशी आय)।
- पूंजीगत लाभ (Capital Gains): यदि आपने कोई संपत्ति (प्रॉपर्टी), शेयर या म्यूचुअल फंड बेचे हैं, जिस पर कैपिटल गेन्स हुआ है। ऐसे लाभ की गणना जटिल होती है।
- बिजनेस या प्रोफेशन से आय: बड़े टर्नओवर वाले व्यवसाय या जटिल प्रोफेशन से आय कमाने वालों को।
- विदेशी संपत्ति: यदि आपके पास विदेश में कोई संपत्ति या आय का स्रोत है।








