
हरियाणा सरकार ने राज्य के विकास को गति देने के लिए एक बड़ी परियोजना शुरू की है। अब, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जोड़ने वाले ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के किनारे एक आधुनिक औद्योगिक शहर बसाया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस परियोजना से हरियाणा का रियल एस्टेट बाजार नई ऊंचाइयों को छुएगा और साथ ही किसानों की समृद्धि के लिए भी नए अवसर पैदा होंगे।
किन गाँवों की जमीन होगी अधिग्रहण
एक नया औद्योगिक शहर बसाने की तैयारी चल रही है, जिसके लिए फरीदाबाद और पलवल ज़िलों के नौ गाँवों की लगभग 9,000 एकड़ ज़मीन ली जाएगी। जमीन बेचने के लिए ज़रूरी आवेदन पूरे हो चुके हैं। जिन गाँवों की जमीन खरीदी जानी है, उनमें फरीदाबाद के छांयसा और मोहना गाँव शामिल हैं, जबकि पलवल ज़िले से मोहियापुर, बागपुर कलां, बागपुर खुर्द, बहरौला, हंसापुर, सोलड़ा, और थंथरी गाँव की जमीन अधिग्रहित की जाएगी।
HSIIDC की नई जिम्मेदारी
इस औद्योगिक शहर को विकसित करने का काम हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (HSIIDC) को दिया गया है। सरकार को विश्वास है कि यह परियोजना हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्र को एक नई पहचान देगी। इसके फलस्वरूप, राज्य में लाखों नए रोज़गार के साथ-साथ उद्योग और निवेश के बड़े अवसर पैदा होंगे।
ग्रेटर फरीदाबाद का नया विकास
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) ग्रेटर फरीदाबाद में एक बड़ा विकास करने जा रहा है। इसके तहत, 18 गांवों की लगभग 4,500 एकड़ जमीन ली जाएगी और सेक्टर 94ए से लेकर 142 तक का विकास किया जाएगा। इस परियोजना से क्षेत्र में नए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और यहाँ का शहरी विकास तेज़ी से बढ़ेगा।
इन गांवों में बढ़ेगी ज़मीन की कीमत
खेड़ी कलां, नचौली, ताजुपुर, ढहकौला, शाहबाद, भैंसरावली, जसाना, और तिगांव जैसे गांवों को जल्द ही रिहायशी ज़ोन में शामिल किया जाएगा। इस बदलाव के कारण यहां के सर्कल रेट में वृद्धि होगी, जिससे इन क्षेत्रों की जमीन की कीमतों में भारी उछाल आने की संभावना है। इस कदम से न केवल नए आवासीय क्षेत्रों का तेज़ी से विकास होगा, बल्कि स्थानीय बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) को भी बड़ी मजबूती मिलेगी।
भूमि अधिग्रहण के लिए विशेष कैंप
सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए गाँवों में विशेष शिविरों (Special Camps) का आयोजन किया था। इन शिविरों का उद्देश्य लोगों के काम को सुचारु रूप से पूरा करना था। ये विशेष कैंप साहुपुरा, सोतई, सुनपेड़, जाजरू और मलेरना जैसे गाँवों में लगाए गए थे।









