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Supreme Court Update: अल्पसंख्यक संस्थानों में भी अब टीईटी अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट में आज होगी अहम सुनवाई

क्या अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती के लिए भी टीईटी (TET) पास करना अनिवार्य होगा? इस बड़े सवाल पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा सभी संस्थानों पर लागू हो। सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश भर के अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षक भर्ती नियमों को बदल सकता है।

By Pinki Negi

Supreme Court Update: अल्पसंख्यक संस्थानों में भी अब टीईटी अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट में आज होगी अहम सुनवाई
Supreme Court Update

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें मांग की गई है कि छह से चौदह साल तक के बच्चों को पढ़ाने वाले सभी स्कूलों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को अनिवार्य किया जाए। इस याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को भी इस अनिवार्यता के दायरे में लाया जाए।

शिक्षा का अधिकार कानून से बाहर रखना गलत

एक याचिका में यह दलील दी गई है कि अल्पसंख्यक संस्थानों को शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून से बाहर रखना गलत है। याचिका के अनुसार, ऐसा करने से संविधान में दिए गए समानता (अनुच्छेद 14, 15, 16) और शिक्षा के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21 और 21ए) का उल्लंघन होता है। सरल शब्दों में, याचिका में कहा गया है कि इन संस्थानों को बाहर रखने से सभी नागरिकों को समान शिक्षा और अवसर नहीं मिल पाते।

सभी को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले

जल्द ही सुप्रीम कोर्ट शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 की कुछ धाराओं पर सुनवाई करेगा, जिन्हें ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘असंवैधानिक’ बताते हुए चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत सभी को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए, इसलिए कुछ स्कूलों को RTE के दायरे से बाहर रखना गलत है। याचिकाकर्ता नितिन उपाध्याय का तर्क है कि अल्पसंख्यकों के शैक्षिक संस्थानों के अधिकार से संबंधित अनुच्छेद 30 की व्याख्या, संविधान के मूल उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए।

महुआ के वकील प्रशांत भूषण ने दिया तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा से उनकी उस याचिका पर सवाल किया, जिसमें उन्होंने भारत में निवेश करने वाले विदेशी फंडों (AIF और FPI) के असली मालिकों की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की थी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने महुआ मोइत्रा के वकील से सीधा पूछा कि इस जानकारी को सार्वजनिक करने का उद्देश्य क्या है, और क्या यह याचिका सूचना के अधिकार जैसी नहीं है, जिसे अनुच्छेद 32 के तहत दायर नहीं किया जा सकता।

महुआ के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के वास्तविक मालिकों का पता नहीं है। कोर्ट ने महुआ मोइत्रा को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में विस्तृत आवेदन सीधे सेबी के सामने प्रस्तुत करें।

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Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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