
अब भारतीयों को अमीर और विकसित देश बहुत भा रहे हैं और इसी वजह से वे तेजी से भारत की नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ले रहे हैं। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 2.25 लाख भारतीयों ने OECD सदस्य देशों की नागरिकता हासिल की, जो दुनिया के किसी भी देश के नागरिकों से सबसे ज़्यादा है। यह संख्या भारत के लिए एक नया रिकॉर्ड है, जिससे पता चलता है कि विकसित देशों में जाकर बसने का चलन भारतीयों में काफी बढ़ गया है।
भारतीयों के लिए कनाडा का आकर्षण कम हो रहा
हाल के वर्षों में, कनाडा भारतीयों की सबसे पसंदीदा जगह रहा है। 2023 में 78,487 भारतीयों को कनाडा की नागरिकता मिली, जो 2022 के 59,405 और 2013 के सिर्फ 15,388 के मुकाबले बहुत ज़्यादा है। कनाडा की स्थिर नीतियां और जल्दी परमानेंट रेसिडेंस (PR) मिलने की प्रक्रिया इसकी मुख्य वजह थी। हालांकि अब विशेषज्ञों का मानना है कि यह संख्या घट सकती है। कनाडा में महंगाई बढ़ गई है, मकानों की कमी है, और इमिग्रेशन (आप्रवासन) के नियमों में भी सख्ती आ गई है, जिससे भारतीयों को अब कनाडा जाने में ज़्यादा मुश्किलें आ सकती हैं।
भारतीय और चीनी नागरिकता छोड़ कर जा रहे हैं
भारत के लोगों में अब कनाडा के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी लोकप्रिय हो रहे हैं। कई भारतीय नागरिक इन देशों की नागरिकता ले रहे हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में 52,360 और 2022 में 66,670 भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता ली। इसी तरह, 40,361 भारतीयों ने ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता अपनाई। सिर्फ भारतीय ही नहीं, चीनी नागरिक भी बड़ी संख्या में दूसरे देशों में जा रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में लगभग 3.7 लाख चीनी नागरिक OECD देशों (जैसे अमेरिका और दक्षिण कोरिया) में रहने चले गए। यह दिखाता है कि भारत और चीन दोनों देशों के लोग बेहतर अवसरों या अन्य कारणों से दूसरे देशों में बसना पसंद कर रहे हैं।








