
क्या आप जानते हैं कि कॉकरोच पृथ्वी पर डायनासोर के आने से भी पहले से मौजूद हैं? दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉक्टर नवाज़ आलम ख़ान बताते हैं कि कॉकरोच दुनिया के सबसे पुराने कीड़ों में से एक हैं। जीवाश्मों (Fossils) से मिले सबूत बताते हैं कि इनकी जड़ें कार्बोनिफ़ेरस दौर से जुड़ी हैं, जिसका मतलब है कि ये छोटे जीव लगभग 35 करोड़ साल पहले भी पृथ्वी पर मौजूद थे और आज भी हैं।
कॉकरोच के शरीर की अद्भुत बनावट
कॉकरोच का शरीर प्रकृति का एक कमाल है, जिसे मुख्य रूप से तीन हिस्सों – सिर (Head), वक्ष (Thorax) और पेट (Abdomen) में बांटा गया है। इसके सिर के आगे दिखने वाले दो एंटीना इसके संवेदी अंग (Sensory Organs) होते हैं, जिनकी मदद से यह अपने आस-पास के माहौल को महसूस करता है।
डॉक्टर दुष्यंत कुमार चौहान के अनुसार, कॉकरोच के ऊपर जो काला या गाढ़ा भूरा रंग का खोल होता है, उसे एग्ज़ोस्केलेटन (Exoskeleton) या बाहरी खोल कहते हैं। यह खोल नाखूनों में पाए जाने वाले काइटन नामक पदार्थ से बना होता है, जो बहुत मज़बूत होता है और कॉकरोच को पर्यावरण के बदलावों और उसके दुश्मनों से पूरी तरह सुरक्षित रखता है।
सिर कटने पर भी कैसे ज़िंदा रहता है कॉकरोच?
यह जानकर आश्चर्य होगा कि कॉकरोच सिर कटने के बाद भी एक हफ़्ते तक ज़िंदा रह सकता है! डॉ. नवाज़ आलम खान के अनुसार, जहाँ मनुष्यों में दिमाग पूरे शरीर को नियंत्रित करता है, वहीं कॉकरोच के शरीर में गैंगलियोन नामक कई तंत्रिका समूह (नर्व मिलकर) होते हैं, जो सिर्फ़ सिर में नहीं बल्कि शरीर के कई हिस्सों में मौजूद होते हैं।
सिर कट जाने पर इसके थोरेक्स (छाती) और एब्डोमन (पेट) में मौजूद गैंगलियोन इसकी बाकी बॉडी को नियंत्रित करना शुरू कर देते हैं। साथ ही, मनुष्य जहाँ नाक या मुँह से साँस लेते हैं, वहीं कॉकरोच अपने शरीर पर मौजूद छोटे छेदों, जिन्हें स्पाइरेकल्स कहते हैं, से सीधे साँस लेते हैं। यही वजह है कि सिर कटने के बाद भी उनके साँस लेने और ज़रूरी शारीरिक क्रियाओं में रुकावट नहीं आती और वे कुछ समय तक जीवित रह पाते हैं।
सिर कटने पर कॉकरोच एक हफ़्ते में क्यों मर जाता है?
डॉक्टर ख़ान बताते हैं कि सिर कटने के बाद भी कॉकरोच एक महीने तक बिना खाए ज़िंदा रह सकता है, लेकिन पानी के बिना यह केवल एक हफ़्ते तक ही जी पाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कॉकरोच डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) सहन नहीं कर पाते। सिर कटने या कुचलने पर कॉकरोच का मुँह नष्ट हो जाता है, जिससे वह पानी नहीं पी पाता। इसी कारण, पानी और नमी न मिलने से वह एक हफ़्ते के बाद मर जाता है।
रात में क्यों निकलते हैं कॉकरोच?
कॉकरोच असल में नॉक्टरनल जीव होते हैं, जिसका मतलब है कि ये रात के समय सबसे ज़्यादा सक्रिय होते हैं और दिन में रोशनी, नमी और अंधेरे वाली जगहों जैसे रसोई और वॉशरूम में छिपे रहते हैं। डॉक्टर दुष्यंत कुमार चौहान के अनुसार, कॉकरोचों के रसोई और वॉशरूम में दिखने का मुख्य कारण खाना और नमी है, क्योंकि ये वेस्ट प्रोडक्ट खाते हैं। ये रात के अंधेरे में ही अपने दुश्मनों से बचने और भोजन-पानी की तलाश करने के लिए बाहर निकलते हैं, और यही वजह है कि इन्हें रोशनी पसंद नहीं आती तथा दिन के उजाले में दिखने पर ये तुरंत किसी अंधेरे कोने में भागने की कोशिश करते हैं।
150 से 170 दिन तक जीवित रहते है कॉकरोच
कॉकरोच की कुछ प्रजातियाँ, जैसे जर्मन कॉकरोच, लगभग 150 से 170 दिन तक जीवित रह सकती हैं, जबकि मादाएँ 180 दिन तक जीती हैं। हालाँकि, यह आम धारणा कि कॉकरोच परमाणु हमले के बाद भी बच जाएंगे, पूरी तरह सही नहीं है। डॉक्टर चौहान के अनुसार, परमाणु विस्फोट की तेज़ गर्मी और धमाका इन्हें भी मार देगा, क्योंकि उनका सेल्युलर ढाँचा (cellular material) भी नष्ट हो जाएगा।
यह सच है कि कॉकरोच में रेडिएशन (विकिरण) को झेलने की क्षमता 15 गुना अधिक होती है, जो उनकी बेहतर अनुकूलन क्षमता (adaptability) और शारीरिक संरचना के कारण है, लेकिन विस्फोट के केंद्र में वे जीवित नहीं बचेंगे।









