
कनाडा सरकार अपने नागरिकता कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है, जिसका उद्देश्य पुराने नियमों की खामियों को दूर करना है। इमिग्रेशन मिनिस्टर लीना मेटलेज डियाब ने बताया कि बिल C-3 उन हजारों भारतीय मूल के परिवारों को राहत देगा जिनके बच्चे कनाडा के बाहर पैदा हुए थे और नागरिकता नहीं पा सके थे। सरकार का कहना है कि यह नया कानून परिवारों के साथ न्याय करेगा और उन लोगों को नागरिकता लौटाएगा जिन्हें पहले के नियमों के कारण बाहर कर दिया गया था।
कनाडा की नागरिकता पर पुराना नियम
2009 के नियमों के कारण, विदेश में पैदा हुए बच्चों को कनाडा की नागरिकता तभी मिल पाती थी जब उनके माता-पिता में से कम से कम एक का जन्म कनाडा में हुआ हो या वह कनाडा का नागरिक बन चुका हो। इस नियम की वजह से कई लोग “लॉस्ट कैनेडियन” (Lost Canadians) कहलाए, क्योंकि कानूनी रूप से उन्हें नागरिकता की मान्यता नहीं मिल पाती थी, भले ही वे खुद को नागरिक मानते थे।
कनाडा के नए कानून में एक बड़ा बदलाव ‘सबस्टेंशियल कनेक्शन टेस्ट’ है। इस नियम के अनुसार, यदि कनाडाई माता-पिता खुद कनाडा के बाहर पैदा हुए हैं, तो वे अपने बच्चे को जन्म के आधार पर नागरिकता तभी दे पाएंगे जब वे बच्चे के जन्म या गोद लेने से पहले कम से कम 1095 दिन (लगभग 3 साल) कनाडा में रह चुके हों। यह नियम अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के समान ही है, जिसका उद्देश्य नागरिकता संबंधी कड़े प्रावधान सुनिश्चित करना है।
कनाडा की नागरिकता नियमों में सुधार
कनाडा की अदालत ने सरकार को नागरिकता नियमों में बदलाव लागू करने के लिए जनवरी 2026 तक का समय दिया है। इमिग्रेशन वकीलों का मानना है कि यह प्रक्रिया शुरू होते ही नागरिकता आवेदनों की संख्या तेज़ी से बढ़ेगी। 1947 के नागरिकता अधिनियम के पुराने और कठिन नियमों के कारण कई लोग अपनी नागरिकता खो बैठे थे, लेकिन 2009 और 2015 में हुए सुधारों से लगभग 20,000 लोगों को उनकी नागरिकता वापस मिली थी। कनेडियन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (CILA) ने भी इन नए सुधारों का स्वागत किया है।
विदेश में जन्मे बच्चों की नागरिकता पर नया कानूनी बदलाव
सरकार द्वारा बनाया गया एक पुराना नियम, जो 2009 में लागू हुआ था और जिसके तहत विदेश में जन्मे बच्चों को अपने आप नागरिकता नहीं मिलती थी, उसे 2023 में अदालत ने असंवैधानिक घोषित कर दिया। सरकार ने इस अदालती फैसले को मान लिया है और इसे आगे चुनौती नहीं देने का निर्णय लिया है, जिससे अब विदेश में जन्मे बच्चों की नागरिकता के नियमों में बदलाव आ गया है।









