
जैसा की अक्सर देखा जाता है की मतदान से पहले कई चुनाव आयोग के नियम अनुसार कई चीजें बैन कर दी जाती है। हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की सरगर्मी अपने अंतिम पड़ाव पर है। ऐसे में चुनाव से पहले आयोग की और से Representation of the People Act, 1951 की धारा 126 लागू होने से मतदान से 48 घंटे पहले और मतदान समाप्त होने तक राज्य में किसी भी तरह का चुनावी प्रचार, जनसभा, जुलुस या चुनावी सामग्री का प्रसार पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
ऐसे में चलिए जानते हैं की मतदान से पहले क्या-क्या बैन हो जाता है और यह नियम न मानने पर कितने साल की हो सकती है सजा? इससे जुडी पूरी जानकारी।
क्या है धारा 126?
Representation of the People Act, 1951 की धारा 126 चुनावों के दौरान मौन अवधि लगती है। जो आमतौर पर मतदान समाप्त होने से 48 घंटे पहले शुरू होती है। ऐसे में मतदान से 48 घंटे पहले और समाप्त होने तक किसी भी प्रकार का चुनावी मैटर जनता तक पहुँचना प्रतिबंधित है। जिसका उद्देश्य मतदाताओं को मतदान की तारीख से पहले के अंतिम दिनों में किसी भी प्रकार के बाहरी प्रचार या दबाव से मुक्त रखना है, जिससे वह बिना किसी दबाव के खुद से निर्णय ले सकेंगे।
कानून उल्लंघन पर आयोग की कार्रवाई
चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, इस अवधि में टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया प्लेटफार्म और इंटरनेट पर किसी भी तरह की चुनावी सामग्री या विज्ञापन दिखाना प्रतिबंधित है। वहीं कानून का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है, जो कुछ इस प्रकार है।
- लाउडस्पीकर या किसी ध्वनि विस्तार यंत्र का उपयोग नहीं होना चाहिए।
- धारा 126 लागू होते ही संबंधित निर्वाचित क्षेत्रों में कोई सार्वजानिक सभा या जुलूस आयोजित नहीं किया जा सकता।
- मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म पर भी सख्ती रहती है।
- मतदान के 48 घंटे पहले किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर चुनाव सामग्री का प्रसारण पूरी तरह बंद रहता है।
- प्रिंट मीडिया में भी चुनावी विज्ञापन केवल पूर्व-प्रमाणीकरण के बाद ही प्रकाशित हो सकता है।
- नियम न मानने पर अधिकतम दो साल की जेल, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
इसके अलावा मतदान से पहले निर्वाचित क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनी रहे इसके लिए आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्र में होटल, सामुदायिक भवन और गेस्ट हॉउस की तलासी ली जाती है। जिससे कोई नेता या उनका कार्यकर्ता मतदाताओं को प्रभावित न करें और मतदान अधिक से अधिक पारदर्शी तरीके से पूरा किया जा सके।








