
आजकल सूरत शहर की सड़कों पर क अनोखी इलेक्ट्रिक बाइक ‘गरुड़’ बहुत सुर्खियाँ बटोर रही है। यह बाइक बहुत खास दिखती है: इसके पहिये बड़े और बीच में खाली (हबलेस) हैं, बैठने का तरीका अलग है, और यह बिना आवाज़ किए चलती है। जो भी इसे देखता है, वह हैरान रह जाता है। इसका कारण इसका भविष्यवादी डिज़ाइन (Futuristic Design) है, जो किसी हॉलीवुड साइंस फिक्शन फिल्म की बाइक जैसा लगता है।
सूरत के छात्रों ने बनाई खास AI बाइक
यह बाइक जहाँ भी जाती है, लोग इसे मुड़-मुड़कर देखते हैं और इसके साथ फोटो खिंचवाते हैं। यह कोई साधारण बाइक नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से चलने वाली एक अनोखी ड्राइवरलेस (बिना ड्राइवर की) मोटरसाइकिल है, जिसे सूरत के इंजीनियरिंग छात्रों ने मिलकर बनाया है। आजतक ने इस खास बाइक को बनाने वाले तीसरे वर्ष के छात्र शिवम मौर्या से बात की। उन्होंने बताया कि यह बाइक इतनी खास क्यों है और इसे बनाने के पीछे उनका क्या उद्देश्य था।
बाइक को दिया गरुड़ का नाम
शिवम को बाइक्स और गाड़ियों का बहुत शौक है। उन्होंने एक ऐसी बाइक बनाने की सोची जो अगले 10-15 सालों तक इस्तेमाल हो सके और आम लोगों की ज़रूरतें पूरी करे। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने कॉलेज के साथियों—गुरप्रीत अरोड़ा और गणेश—के साथ मिलकर एक खास ‘हबलेस ड्राइवरलेस मोटरसाइकिल’ (Hubless Driverless Motorcycle) कॉन्सेप्ट पर काम शुरू किया। गुरप्रीत बाइक की डिज़ाइनिंग संभालते हैं, जबकि गणेश एडिटिंग का काम देखते हैं। उन्होंने इस भविष्य की बाइक को गरुड़ (Garuda) नाम दिया है, जो भगवान विष्णु की सवारी है।
बाइक को बनाने में लगा एक साल
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीसरे साल के छात्र शिवम ने एक ड्राइवरलेस मोटरसाइकिल बनाकर कमाल कर दिया है, जिसे वह अपना सबसे खास प्रोजेक्ट मानते हैं। उन्हें इसे बनाने में लगभग एक साल का समय लगा। उन्होंने कोशिश की कि इस बाइक में ज़्यादातर पुर्जे (पार्ट्स) वे खुद अपने वर्कशॉप में बनाएँ। हालांकि, कुछ मुख्य चीज़ें जैसे पहिए, अलॉय व्हील, इलेक्ट्रिक मोटर और कंट्रोलर उन्हें बाज़ार से खरीदनी पड़ीं। यह मोटरसाइकिल शिवम के इंजीनियरिंग कौशल का एक बेहतरीन उदाहरण है।
बाइक के लगभग 70% पुर्जे उन्होंने खुद बनाएं
इस अनोखी ‘हबलेस’ (Hubless) बाइक को बनाने वाले शिवम ने बताया कि इसके आगे के हिस्से में हार्ले-डेविडसन (Harley-Davidson) का टायर और पीछे के हिस्से में हायाबुशा (Hayabusa) का पुराना टायर इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने यह दोनों टायर सूरत के कबाड़ बाज़ार (स्क्रैप मार्केट) से खरीदे थे। शिवम का कहना है कि बाइक के लगभग 70% पुर्जे उन्होंने अपनी वर्कशॉप में खुद ही बनाए हैं।
बाइक की खासियत
यह एक खास तरह की इलेक्ट्रिक बाइक का मॉडल है, जिसे शिवम नाम के एक इंजीनियर ने बनाया है। इस बाइक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे तीन तरीकों से चलाया जा सकता है: खुद चलाकर (Manual), रिमोट कंट्रोल से, और बिना किसी के चलाए (Autonomous)। शिवम बताते हैं कि रिमोट और ऑटोनॉमस मोड के लिए इसमें 4 कैमरे और कई सेंसर लगाए गए हैं जो आस-पास की हर चीज़ पर नज़र रखते हैं।
सुरक्षा के लिए अगर बाइक के 12 फीट के दायरे में कोई व्यक्ति या वस्तु आती है तो यह अपनी रफ्तार धीमी कर लेती है। और अगर कोई चीज़ 3 फीट के दायरे में आ जाए तो यह खुद ही ब्रेक लगाकर रुक जाती है।
आया इतना खर्चा
शिवम ने बताया कि जब उन्होंने यह हबलेस इलेक्ट्रिक बाइक बनाई, तो उन्होंने पूरी कोशिश की कि ज़्यादातर स्थानीय चीज़ों (लोकल पार्ट्स) का इस्तेमाल हो ताकि इसे कम खर्च में बनाया जा सके। हालांकि, करीब एक साल तक लगातार काम करने और सारे पार्ट्स को जोड़ने (असेंबल करने) के बाद भी, इस खास बाइक को बनाने में उन्हें लगभग ₹1.80 लाख का खर्च आया है।








