
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को साफ बताया है कि आधार कार्ड का उपयोग केवल मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने वालों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है, न कि नागरिकता के प्रमाण के तौर पर। आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार होना या न होना, वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने या हटाने का कारण नहीं है। यहाँ तक कि बिहार में भी इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है, क्योंकि UIDAI भी पहले ही कह चुका है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
मतदाता सूची में आधार का उपयोग
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड का इस्तेमाल केवल मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के इच्छुक आवेदकों की पहचान की पुष्टि के लिए किया जा रहा है। आयोग ने एक हलफनामे में बताया कि आधार को नागरिकता के प्रमाण के तौर पर या मतदाता सूची से नाम जोड़ने या हटाने के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है। आयोग ने अधिकारियों को भी निर्देश दिए हैं कि इस प्रक्रिया में आधार कार्ड का इस्तेमाल न किया जाए, जैसा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में बताया गया है।
आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। आयोग ने कहा कि केवल आधार कार्ड होने या न होने के आधार पर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची (Voter List) में जोड़ा या हटाया नहीं जा सकता। आयोग ने बिहार सहित अन्य राज्यों को पहले ही निर्देश दे दिया है कि आधार का उपयोग पहचान के प्रमाण के रूप में किया जाए, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं। UIDAI भी अगस्त 2023 में यह साफ कर चुका है कि आधार नागरिकता, निवास या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है।









