
भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) एक बार फिर से सुर्खियों में है। कुछ राज्यों में मामूली बढ़ोत्तरी देखने को मिली है, जिसके बाद एक बार फिर कोरोना बूस्टर वैक्सीन-डोज को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। लेकिन विशेषज्ञों की राय कुछ और ही कहती है। महामारी विज्ञानियों का मानना है कि मौजूदा हालात में बूस्टर वैक्सीन-डोज की न तो आवश्यकता है, न ही इसकी कोई संभावित योजना निकट भविष्य में बनती दिख रही है।
वर्तमान महामारी की स्थिति और भारत की तैयारी
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और नीति विश्लेषक डॉ. चंद्रकांत लहरिया का कहना है कि अब COVID-19 भारत में कोई नया वायरस नहीं है। देश की लगभग पूरी जनसंख्या इससे किसी न किसी रूप में संक्रमित हो चुकी है। ज्यादातर वयस्कों को पहले ही दो या उससे अधिक डोज दिए जा चुके हैं। वर्तमान में जो संक्रमण देखे जा रहे हैं, वे अत्यंत सीमित हैं और गंभीर रूप से बीमार करने वाले नहीं हैं।
डॉ. लहरिया का यह भी कहना है कि COVID-19 का अब जो वेरिएंट सक्रिय है, वह JN.1 है – जो कोई नया स्ट्रेन नहीं है। इससे संक्रमित अधिकांश मरीजों में केवल हल्के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। यह संक्रमण अब एक सामान्य फ्लू जैसा बन गया है, जिससे डरने की आवश्यकता नहीं है।
कोरोना संक्रमण का नया स्वरूप और वैक्सीन की भूमिका
एम्स (AIIMS) के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने जानकारी दी कि देश में अब जो वेरिएंट एक्टिव है वह काफी समय से मौजूद है और किसी नए खतरे का संकेत नहीं देता। उन्होंने स्पष्ट किया कि COVID-19 वैक्सीनेशन संक्रमण को पूरी तरह रोकने में सक्षम नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य गंभीर बीमारी और मृत्यु दर को कम करना है, जो मौजूदा हालात में पहले से ही काफी कम है।
एमआरएनए तकनीक पर आधारित जो नई कोरोना वैक्सीन विकसित हुई हैं, वे भारत में फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं और न ही इन्हें देश में किसी नियामक से लाइसेंस प्राप्त है। इस कारण, भारत में उपयोग में लाई जा रही पारंपरिक वैक्सीनें वर्तमान वेरिएंट्स के खिलाफ ज्यादा प्रभावी नहीं मानी जा रही हैं।
देश में मामलों की संख्या और अस्पतालों की स्थिति
राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना के मामलों में वृद्धि नगण्य है। डॉ. लहरिया के अनुसार, भारत में हर 50 लाख की आबादी पर औसतन केवल एक ही केस दर्ज हो रहा है। राजधानी दिल्ली में बीते 10 दिनों में 23 COVID-19 केस सामने आए हैं, जिनमें से कोई भी गंभीर नहीं है। इन सभी में हल्के लक्षण मिले हैं और इनमें से कोई भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया।
एम्स के विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि COVID-19 की निगरानी तो जरूरी है, लेकिन इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। जब तक अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या नहीं बढ़ती, तब तक यह स्थिति चिंताजनक नहीं मानी जा सकती।