
ईरान इस समय पिछले तीन सालों के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों और नागरिक अशांति का सामना कर रहा है। जनता के इस गुस्से की मुख्य वजह ईरानी करेंसी ‘रियाल’ की कीमत में आई भारी गिरावट है, जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बेहद नीचे गिर गई है। इस आर्थिक संकट के कारण तेहरान के ऐतिहासिक ग्रैंड बाजार से लेकर बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों तक में विरोध की आग फैल गई है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि तेहरान समेत देश के कई प्रमुख शहरों में बाजार पूरी तरह बंद करने पड़े हैं। लोग अपनी गिरती आर्थिक स्थिति और बढ़ती महंगाई के खिलाफ सड़कों पर उतरकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
ईरान में महंगाई का तांडव: रिकॉर्ड स्तर पर गिरी करेंसी, सड़कों पर उतरे लोग
ईरान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है, जहाँ ईरानी रियाल की कीमत गिरकर प्रति डॉलर 14 लाख 45 हजार के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुँच गई है। देश में महंगाई की दर 42.2 प्रतिशत हो गई है, जबकि खाने-पीने की चीजों के दाम 72 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
इस बेकाबू महंगाई और कंगाली ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। इस्फहान, शिराज और मशहद जैसे प्रमुख शहरों में लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर रैलियां और जुलूस निकाल रहे हैं। आम जनता के लिए बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी अब नामुमकिन होता जा रहा है, जिसने ईरान के शासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
सड़कों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव
तेहरान की सड़कों पर हालात बेकाबू होते जा रहे हैं, जहाँ भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोलों का सहारा लिया है। जैसे-जैसे यह विरोध प्रदर्शन देश के अन्य हिस्सों में तेज हो रहा है, ईरानी प्रशासन के कड़े रुख में कुछ नरमी के संकेत भी मिल रहे हैं। प्रदर्शनों की बढ़ती व्यापकता को देखते हुए अब शासन के भीतर से भी संवाद की आवाजें उठने लगी हैं।
यहाँ तक कि ईरानी सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख ने सार्वजनिक रूप से अपील की है कि प्रदर्शनकारियों की समस्याओं और उनकी मांगों को सुना जाना चाहिए। यह बयान इशारा करता है कि जन-आक्रोश के दबाव में सरकार अब बातचीत का रास्ता खोजने को मजबूर हो सकती है।
ईरान के विश्वविद्यालयों में विद्रोह की आग
ईरान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के तीसरे दिन तेहरान के प्रमुख विश्वविद्यालय—तेहरान यूनिवर्सिटी, शरीफ और शहीद बेहेश्ती—बगावत के सबसे बड़े केंद्र बन गए हैं। छात्रों का गुस्सा इस कदर भड़क उठा है कि उन्होंने सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के प्रतिनिधि कार्यालय का बोर्ड तक उखाड़ दिया।
सड़कों और परिसरों में ‘तानाशाह की मौत’ और ‘आजादी’ जैसे तीखे नारे गूँज रहे हैं, जो सीधे तौर पर देश के सर्वोच्च नेतृत्व और धार्मिक सत्ता को चुनौती दे रहे हैं। यह आंदोलन अब केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक बड़े राजनीतिक विद्रोह का रूप ले चुका है, जहाँ प्रदर्शनकारी देश में आमूलचूल बदलाव की मांग कर रहे हैं।
ईरान में झुकी सरकार
ईरान में बढ़ते जन-आक्रोश के सामने आखिरकार शासन के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने गृह मंत्री को निर्देश दिया है कि वे प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों के साथ सीधे संवाद करें। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख और सरकारी अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है कि यह विरोध प्रदर्शन जनता पर बढ़ रहे भारी आर्थिक दबाव का परिणाम है।
प्रशासन की ओर से अब यह कहा जा रहा है कि जनता की जायज मांगों को सुना जाना चाहिए और संविधान के तहत शांतिपूर्ण सभाओं को अनुमति मिलनी चाहिए। सरकार का यह बदलता रुख संकेत देता है कि वे बल प्रयोग के बजाय अब बातचीत के जरिए इस संकट को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं।
ईरान में डॉलर की आसमान छूती कीमतों के पीछे के असली कारण
ईरान में डॉलर की कीमत अचानक बढ़ने के पीछे कई बड़े आर्थिक और राजनीतिक कारण हैं। सबसे मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं, जिन्होंने ईरान के तेल निर्यात को रोक दिया है और बैंकिंग सिस्टम पर कई पाबंदियां लगा दी हैं। विदेशी निवेश की कमी के कारण देश में डॉलर की भारी किल्लत हो गई है।
इसके साथ ही, बढ़ती महंगाई और चरमराती अर्थव्यवस्था की वजह से लोगों का अपनी मुद्रा ‘रियाल’ से भरोसा उठ गया है, जिससे वे अपनी बचत को डॉलर में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। बाजार में फैली अफवाहों और सट्टेबाजी ने भी आग में घी डालने का काम किया है, जिससे डॉलर की मांग और कीमत दोनों रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई हैं।









