
दिल्ली सरकार राजधानी में प्रदूषण कम करने के लिए अब पेट्रोल, डीजल और CNG गाड़ियों पर ग्रीन सेस लगाने की तैयारी कर रही है। नई ‘ई-वीकल पॉलिसी 2.0’ के तहत मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया है कि नई गाड़ियों की खरीद पर 1 से 2% तक का अतिरिक्त शुल्क लिया जाए। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी प्रति लीटर 25 से 50 पैसे का सेस लगाया जा सकता है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर प्रोत्साहित करना और पर्यावरण को बेहतर बनाना है।
दिल्ली में नई कार खरीदना होगा महंगा
दिल्ली सरकार नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर लगने वाले ‘वन टाइम पार्किंग चार्ज’ को बढ़ाने पर विचार कर रही है, जो फिलहाल 2,000 से 4,000 रुपये तक है। इसके अलावा, पारंपरिक पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर अतिरिक्त सेस लगाने की भी योजना है, जिससे उनकी ऑन-रोड कीमत काफी बढ़ जाएगी। सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रदूषण कम करने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) की ओर प्रोत्साहित करना है। इस बदलाव के बाद ई-व्हीकल खरीदना पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के मुकाबले काफी सस्ता और फायदेमंद साबित होगा।
दिल्ली में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का क्रेज
दिल्ली में प्रदूषण कम करने की मुहिम रंग ला रही है और लोग तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को अपना रहे हैं। अब तक दिल्ली की सड़कों पर कुल 5 लाख से अधिक ईवी दौड़ रहे हैं। अकेले इस साल 2025 में अब तक 8.11 लाख गाड़ियाँ बिकीं, जिनमें से 1.11 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ हैं।
पिछले सालों के मुकाबले ईवी की संख्या में भारी उछाल आया है; जहाँ 2021 में मात्र 35 हजार गाड़ियाँ रजिस्टर्ड हुई थीं, वहीं इस साल निजी ईवी की संख्या ही 70 हजार के पार पहुँच गई है। यह आँकड़ा साफ दर्शाता है कि दिल्ली अब ई-रिक्शा और कमर्शियल वाहनों के साथ-साथ निजी इस्तेमाल के लिए भी ईवी की पहली पसंद बनती जा रही है।
पुरानी गाड़ियों पर ‘ग्रीन टैक्स’ और पार्किंग चार्ज बढ़ाने की तैयारी
दिल्ली सरकार अपनी नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) नीति 2.0 के तहत प्रदूषण कम करने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है। इस प्रस्ताव के अनुसार, 10 साल से पुरानी गाड़ियों पर अब पीयूसी (PUC) जांच के दौरान ‘ग्रीन टैक्स’ लगाया जा सकता है। इस टैक्स से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल शहर में चार्जिंग स्टेशन और अन्य EV सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जाएगा। इसके साथ ही, नई गाड़ियाँ खरीदने पर लगने वाले ‘वन टाइम पार्किंग चार्ज’ में भी बढ़ोतरी करने पर विचार चल रहा है। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य लोगों को पुरानी गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
पेट्रोल-डीजल पर बढ़ सकता है सेस
सरकार पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त सेस (Tax) लगाने पर विचार कर रही है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपने राजस्व (Income) को सुरक्षित रखना है। सरकार को अनुमान है कि भविष्य में जैसे-जैसे लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ अपनाएंगे, पेट्रोल-डीजल की बिक्री कम होगी जिससे टैक्स की कमाई घट जाएगी। साथ ही, EV रजिस्ट्रेशन पर दी जा रही छूट से होने वाले घाटे को पूरा करने के लिए नई गाड़ियों की खरीद पर ‘ग्रीन सेस’ लगाने की योजना है। सरल शब्दों में, सरकार पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ अपने खजाने को भी खाली होने से बचाना चाहती है।
ग्रीन सेस बढ़ाएगा पेट्रोल-डीजल कारों की ऑन-रोड कीमत
सरकार के नए फैसले के बाद अब पेट्रोल और डीजल वाली गाड़ियां खरीदना आम आदमी की जेब पर भारी पड़ेगा। ग्रीन सेस लागू होने से पारंपरिक गाड़ियों की ऑन-रोड कीमत काफी बढ़ जाएगी, जिससे इन्हें खरीदना और चलाना दोनों ही इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के मुकाबले काफी महंगा हो जाएगा। सरकार का मुख्य उद्देश्य लोगों को पेट्रोल-डीजल कारों से दूर करना और उन्हें पर्यावरण के अनुकूल इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर प्रेरित करना है।









