
केरल हाई कोर्ट ने संपत्ति के बंटवारे से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया है कि यदि कोई बच्चा शादी के मात्र चार महीने बाद भी पैदा होता है, तो भी उसे अपने पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार मिलेगा। अदालत ने इस फैसले के जरिए निचली अदालत के उस आदेश को पलट दिया है, जिसने बच्चे को वारिस मानने से इनकार कर दिया था। कोर्ट का यह निर्णय कानूनी उत्तराधिकार के नियमों में बच्चे के अधिकारों को और अधिक सुरक्षित बनाता है।
शादी के 4 महीने बाद जन्मे बेटे को कोर्ट ने नहीं माना वारिस
एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति को लेकर कानूनी विवाद तब शुरू हुआ जब उसकी पत्नी ने बंटवारे के लिए याचिका दायर की। महिला चाहती थी कि संपत्ति चार हिस्सों में बंटे—स्वयं उसके, दो बच्चों और मृतक की माँ के बीच। हालाँकि, निचली अदालत ने महिला की मांग ठुकरा दी और संपत्ति के केवल तीन हिस्से करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने बड़े बेटे को मृतक का कानूनी वारिस मानने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसका जन्म शादी के केवल चार महीने बाद ही हो गया था। इस आधार पर अदालत ने उसे संपत्ति का हिस्सेदार नहीं माना।
शादी से पहले गर्भधारण और बच्चे के हक पर कानूनी बहस
केरल हाई कोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला ने अपने दिवंगत पति की संपत्ति और बच्चे की वैधता के लिए याचिका दायर की है। महिला के वकीलों का तर्क है कि दोनों शादी से पहले ही रिश्ते में थे, इसलिए बच्चा उसी समय गर्भ में आया था। वहीं, दूसरी ओर पति के पक्ष के वकीलों ने इसे पूरी तरह ‘अरेंज मैरिज’ बताते हुए दावा किया है कि सगाई से पहले दोनों का मिलना संभव ही नहीं था। जस्टिस सतीश निनान और पी. कृष्ण कुमार की बेंच अब इस पेचीदा मामले की सुनवाई कर रही है।
शादी के दौरान पैदा हुआ बच्चा हमेशा वैध माना जाएगा
अदालत ने एक पुराने फैसले को बदलते हुए स्पष्ट किया है कि यदि किसी बच्चे का जन्म कानूनी रूप से वैध शादी के दौरान हुआ है, तो उसे जायज ही माना जाएगा। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि बच्चे की वैधता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि वह शादी के कितने समय बाद पैदा हुआ या उसका गर्भधारण कब हुआ। जब तक यह साबित न हो जाए कि बच्चे के जन्म के समय माता-पिता के बीच कोई संबंध नहीं था, तब तक कानून बच्चे के अधिकारों की रक्षा करेगा। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कानून हमेशा बच्चे के सम्मान और उसकी वैधता का पक्ष लेता है।









