
मनरेगा के नाम को लेकर चल रहे विवाद के बीच, CPI सांसद जॉन ब्रिटास ने केंद्र सरकार पर एक गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि सरकार भारतीय करेंसी नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर हटाकर उन्हें भारत की अन्य विरासतों और प्रतीकों से बदलने की योजना बना रही है।
हालांकि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) इस तरह की किसी भी योजना से बार-बार इनकार कर चुका है, लेकिन सांसद का कहना है कि उच्च स्तर पर इसकी शुरुआती चर्चा हो चुकी है। उनका मानना है कि यह कदम देश के स्थापित प्रतीकों को बदलने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर: क्या है सच?
भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर साल 1996 से एक स्थायी पहचान बनी हुई है। समय-समय पर सोशल मीडिया और खबरों में यह दावा किया जाता रहा है कि आरबीआई (RBI) गांधी जी की फोटो हटाकर रवींद्रनाथ टैगोर या ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसी हस्तियों की तस्वीर लगाने पर विचार कर रहा है, लेकिन आरबीआई ने आधिकारिक तौर पर इन सभी दावों को खारिज कर दिया है।
सरकार और सेंट्रल बैंक ने स्पष्ट किया है कि नोटों में बदलाव का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। हाल ही में मनरेगा (MGNREGA) का नाम बदलकर नया बिल लाने पर विपक्षी दलों ने फिर से इस मुद्दे को हवा दी है, लेकिन जहाँ तक नोटों की बात है, गांधी जी की तस्वीर भारतीय नोटों का मुख्य हिस्सा बनी रहेगी।
प्रधानमंत्री की टी-पार्टी में प्रियंका गांधी की मौजूदगी पर विवाद
सांसद ब्रिटास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित टी-पार्टी में प्रियंका गांधी के शामिल होने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए एक गलत संदेश बताया, खासकर ऐसे समय में जब सरकार ने रोजगार गारंटी जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं, जिससे आम जनता प्रभावित हो रही है।
ब्रिटास ने यह सवाल भी उठाया कि कांग्रेस में किसी आधिकारिक पद पर न होने के बावजूद प्रियंका गांधी इस स्वागत समारोह में क्यों गईं। उनका तर्क है कि सरकार के प्रति इस तरह का नरम रुख विपक्ष की साख को कमजोर करता है और जनता के संघर्षों के प्रति संवेदनशीलता को कम करता है।









