
यदि कोई रिकवरी एजेंट आपके घर आता है, तो डरने के बजाय शांति से काम लें। आरबीआई के नियमों के अनुसार, उनके पास बहुत सीमित अधिकार होते हैं और वे आपके साथ बदतमीजी नहीं कर सकते। आप उनसे उनकी पहचान और बैंक से जुड़े दस्तावेज मांग सकते हैं और उनके साथ शालीनता से बात कर सकते हैं। अगर वे आपके साथ दुर्व्यवहार करते हैं या डराते-धमकाते हैं, तो आप तुरंत उनके खिलाफ बैंक या पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
रिकवरी एजेंट से घबराएं नहीं, जानें अपने अधिकार
अगर आप लोन की ईएमआई (EMI) या क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर नहीं भर पाए हैं और रिकवरी एजेंट आपके घर आ जाता है, तो घबराना स्वाभाविक है। अक्सर जानकारी न होने के कारण लोग डर जाते हैं कि एजेंट उनके साथ कैसा व्यवहार करेगा। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि कानून ने आपके लिए कुछ नियम बनाए हैं, ताकि कोई भी एजेंट आपके साथ बदतमीजी या डराने-धमकाने वाला बर्ताव न कर सके।
रिकवरी एजेंट आने पर क्या करें?
अगर कोई रिकवरी एजेंट आपके घर आता है, तो डरने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनके पास पुलिस की तरह कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं होता। आप उनसे शांति से बात करें और सबसे पहले उनका पहचान पत्र (ID Card) मांगें। साथ ही, उनसे यह ज़रूर पूछें कि वे किस बैंक या कंपनी की तरफ से आए हैं।
लोन रिकवरी एजेंटों के लिए आरबीआई के नियम
आरबीआई के नियमों के मुताबिक, लोन रिकवरी एजेंट आपको केवल सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही कॉल कर सकते हैं या आपके घर आ सकते हैं। वे आपको बेवजह परेशान नहीं कर सकते, न ही देर रात या सुबह जल्दी फोन करके डरा-धमका सकते हैं। बातचीत के दौरान उनका व्यवहार सभ्य होना चाहिए; वे आपके साथ गाली-गलौज या बदतमीजी नहीं कर सकते और न ही आपकी अनुमति के बिना आपके परिवार या पड़ोसियों को आपके लोन की जानकारी दे सकते हैं।
बैंक रिकवरी एजेंट की बदतमीजी पर क्या करें?
यदि बैंक एजेंट का घर आना आपको ठीक नहीं लगता, तो आप उनसे लिखित में जानकारी मांग सकते हैं। बैंक की जिम्मेदारी है कि वह आपको बकाया राशि और उसे चुकाने के तरीकों की पूरी जानकारी दे। अगर एजेंट आपके साथ दुर्व्यवहार करता है, तो उसकी बातों को रिकॉर्ड करें और एजेंट का नाम व समय नोट कर लें। इसकी शिकायत सबसे पहले अपने बैंक से करें और यदि बैंक आपकी बात नहीं सुनता, तो आप ‘आरबीआई बैंकिंग लोकपाल’ (RBI Ombudsman) से इसकी शिकायत कर सकते हैं।
कर्ज की समस्या का सही समाधान
कर्ज से डरकर भागने के बजाय बैंक से खुलकर बात करना ज्यादा बेहतर विकल्प है। आप बैंक से अपनी किस्त (EMI) कम करने या कुछ समय की राहत के लिए बातचीत कर सकते हैं, यहाँ तक कि अपनी क्षमता के अनुसार हर महीने 5000 या 10000 रुपये चुकाने का विकल्प भी चुन सकते हैं। याद रखें कि लोन होने पर भी आपके पास कानूनी अधिकार हैं। आरबीआई (RBI) के नियमों के अनुसार, रिकवरी एजेंट आपके साथ बदतमीजी नहीं कर सकते और उन्हें कानून के दायरे में रहकर ही काम करना होगा। अपने इन अधिकारों को जानना ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है।









