
पूरी दुनिया में अब पुरानी सिलिकॉन प्लेटों की जगह पतली शीट वाले सोलर सेल पर काम हो रहा है, क्योंकि ये सस्ते, हल्के और बनाने में आसान होते हैं। इसी दिशा में दक्षिण कोरिया की चोननाम नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेयॉन्ग हियो और डॉक्टर राहुल कुमार यादव की टीम ने एक क्रांतिकारी सफलता हासिल की है।
उन्होंने एक ऐसा उन्नत सोलर सेल तैयार किया है जिसकी बिजली बनाने की क्षमता सामान्य सेल के मुकाबले 30% अधिक है। वैज्ञानिकों का यह नया प्रयोग सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में कम लागत में अधिक बिजली पैदा करना संभव होगा।
सूरज की रोशनी से मुफ्त और साफ बिजली बनाने की तकनीक
सोलर सेल एक छोटा सा उपकरण है जो सूर्य की किरणों को सीधे बिजली में बदल देता है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘फोटोवोल्टिक सेल’ ($Photovoltaic Cell$) भी कहा जाता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह बिना किसी प्रदूषण के बिल्कुल मुफ्त और स्वच्छ ऊर्जा तैयार करता है। आजकल घरों और उद्योगों में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि यह न केवल बिजली के बिल को भारी मात्रा में कम करता है, बल्कि हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में मदद करता है।
अब सूरज से बनेगी पहले से कहीं ज्यादा बिजली
सोलर सेल की कम क्षमता की समस्या को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक खोजी है। लंबे समय से सोलर सेल में बिजली के प्रवाह और चार्ज को सही ढंग से आगे भेजने में दिक्कत आ रही थी, जिससे वे पूरी तरह प्रभावी नहीं थे। अब शोधकर्ताओं ने सोलर सेल के अंदर जर्मेनियम ऑक्साइड की एक बेहद पतली परत (मात्र 7 नैनोमीटर) लगाई है। यह छोटी सी परत बिजली के नुकसान को रोकती है और सेल की कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा देती है, जिससे अब कम धूप में भी बेहतर बिजली मिल सकेगी।
सोलर तकनीक में बड़ा बदलाव
प्रोफेसर हियो के अनुसार, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी बेहद पतली परत विकसित की है जो सोलर सेल की कई बड़ी समस्याओं को एक साथ खत्म कर देती है। यह परत सोडियम को गलत दिशा में फैलने से रोकती है और ज्यादा गर्मी के कारण होने वाले रासायनिक नुकसान (मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड का बनना) से भी बचाती है। इससे सोलर सेल की बनावट मजबूत होती है और बिजली पैदा करने के लिए चार्ज का बहाव बेहतर हो जाता है, जिससे अंततः सोलर पैनल ज्यादा कुशलता से काम करने लगते हैं।
अब 30% ज्यादा बिजली पैदा करेंगे नए सोलर सेल
वैज्ञानिकों ने ‘इंटरफेस इंजीनियरिंग’ के जरिए सोलर सेल की बिजली बनाने की क्षमता (एफिशिएंसी) में करीब 30% की जबरदस्त बढ़ोतरी की है। पुरानी तकनीक जहाँ 3.71% बिजली बनाती थी, वहीं नई तकनीक इसे 4.81% तक ले गई है। प्रोफेसर हियो के अनुसार, यह खोज सिर्फ सोलर पैनल तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका इस्तेमाल भविष्य के सेंसर, मेमोरी डिवाइस और स्मार्ट गैजेट्स को और भी बेहतर व शक्तिशाली बनाने में किया जाएगा। यह नई रिसर्च अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।









