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बेकार पड़ी जमीन से हर साल होगी लाखों की कमाई! बांस लगाइए और 40 साल तक काटिए मुनाफा, सरकार भी दे रही भारी सब्सिडी

एक बार लगाइए बांस की फसल और पूरे 40 साल तक कमाइए लगातार मुनाफा! जानिए कैसे सरकारी योजना से जमीन चमकेगी सोने जैसी

By Manju Negi

बंजर या बेकार पड़ी जमीन को सोने की खान में बदलने का सबसे आसान तरीका है बांस की खेती। यह फसल एक बार लगाने के बाद दशकों तक बिना ज्यादा मेहनत के पैदावार देती रहती है। कम पानी, कम खाद और कम देखभाल की जरूरत के साथ यह किसानों के लिए स्थायी आय का स्रोत बन सकती है। खासकर हरियाणा जैसे क्षेत्रों में, जहां सूखा और कम उपजाऊ मिट्टी की समस्या आम है, बांस उगाना गेम चेंजर साबित हो रहा है।

बेकार पड़ी जमीन से हर साल होगी लाखों की कमाई! बांस लगाइए और 40 साल तक काटिए मुनाफा, सरकार भी दे रही भारी सब्सिडी

बांस की खेती क्यों है कमाल की?

बांस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बंजर भूमि पर भी फल-फूल जाता है। पारंपरिक फसलें जैसे गेहूं या धान यहां नाकाम रहती हैं, लेकिन बांस मिट्टी को मजबूत बनाता है और कार्बन सोखकर पर्यावरण की रक्षा करता है। एक एकड़ में 400-500 पौधे आसानी से लग जाते हैं। चार-पांच साल की प्रतीक्षा के बाद हर साल कटाई शुरू हो जाती है, जो अगले 40 वर्षों तक चलती रहती है। इससे सालाना लाखों रुपये की आमदनी हो सकती है, बिना जमीन दोबारा तैयार करने की जरूरत।

लागत कितनी और मुनाफा कैसा?

शुरुआती निवेश बेहद कम है। एक एकड़ के लिए पौधे, गड्ढे खोदना और बेसिक खाद पर मात्र 15-25 हजार रुपये खर्च आते हैं। पहले तीन साल रखरखाव पर 10-15 हजार और लगते हैं। लेकिन पांचवें साल से कमाई शुरू! पहले साल 1-1.5 लाख, उसके बाद 3 लाख तक प्रति एकड़। कुल मिलाकर 10 एकड़ से 40 साल में करोड़ों का फायदा। रखरखाव सालाना महज 20-30 हजार रहता है, जो आय से कहीं कम है। बाजार में डंडे की कीमत 80-150 रुपये तक चलती है।

सरकारी मदद से जीरो रिस्क

सरकार राष्ट्रीय बांस मिशन के जरिए किसानों का पूरा साथ दे रही है। पौधों पर 50% तक सब्सिडी, प्लांटेशन के लिए तकनीकी ट्रेनिंग और बाजार लिंकेज मुफ्त। हरियाणा में स्थानीय कृषि विभाग से सीधे संपर्क करें। आवेदन ऑनलाइन पोर्टल पर जमीन के दस्तावेजों के साथ भरें। सब्सिडी डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर से मिलती है, जिससे शुरुआती बोझ लगभग खत्म। यह योजना छोटे किसानों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है।

ऐसे शुरू करें

मानसून के बाद 10-12 फीट दूरी पर गड्ढे तैयार करें। सूखा सहने वाली प्रजातियां जैसे बालकोआ या मल्टीप्लाई चुनें। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई और जैविक खाद दें। सर्दियों में पहली कटाई करें, पुराने डंडों को हटाकर नए उगने दें। स्थानीय मंडी, फर्नीचर यूनिट या उद्योगों से सीधा संपर्क जोड़ें।

बाजार की डिमांड और भविष्य

बांस की मांग तेजी से बढ़ रही है। निर्माण, फर्नीचर, कागज और बायोप्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल हो रहा है। निर्यात के मौके भी खुल रहे हैं। एक बार सिस्टम सेट हो जाए, तो यह पैसिव इनकम का बेस्ट सोर्स बन जाता है। बेकार जमीन को आज ही बांस से भरें और जीवन भर कमाई का मजा लें!

Author
Manju Negi
अमर उजाला में इंटर्नशिप करने के बाद मंजु GyanOk में न्यूज टीम को लीड कर रही है. मूल रूप से उत्तराखंड से हैं और GyanOk नेशनल और राज्यों से संबंधित न्यूज को बारीकी से पाठकों तक अपनी टीम के माध्यम से पहुंचा रही हैं.

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