
उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य सरकार और बिजली विभाग अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत सीधे उपभोक्ताओं के बिजली बिल में जोड़कर वसूलने की तैयारी कर रहे हैं। यह कदम सरकार की “स्मार्ट मीटर” योजना को व्यापक रूप से लागू करने का हिस्सा है, लेकिन इससे लाखों उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
क्या है नया प्रावधान
बिजली विभाग के अनुसार, अब हर उपभोक्ता को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाना अनिवार्य होगा। इन मीटरों की औसत कीमत करीब ₹6016 आंकी गई है, जिसे पहले विभाग खुद वहन कर रहा था। लेकिन अब यह राशि धीरे-धीरे उपभोक्ताओं से वसूली जाएगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मीटर की लागत को सीधे बिजली बिल में शामिल किया जाएगा, यानी उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज और एनर्जी चार्ज में इसका असर देखने को मिलेगा।
किश्तों में भुगतान की सुविधा
सरकार ने इस फैसले के साथ एक राहत भी दी है। नए बिजली कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं को मीटर की कीमत एकमुश्त देने के बजाय किस्तों में भुगतान करने का विकल्प मिलेगा। उदाहरण के तौर पर, उपभोक्ता ₹160 प्रति माह या ₹1000 की जमा राशि देकर हर महीने ₹125 की छोटी किस्तों में भुगतान कर सकते हैं।
यह विकल्प उन लोगों के लिए सुविधाजनक है, जो एक बार में पूरी रकम नहीं चुका सकते। हालांकि, यह राहत सीमित है, क्योंकि लंबी अवधि में कुल लागत फिर भी उपभोक्ता पर ही आएगी।
पुराने मीटरों का बदलाव और बढ़ता विवाद
यूपी में पुराने और खराब स्मार्ट मीटरों को भी 2027 तक नए प्रीपेड मीटरों से बदला जाना है। इस बदलाव की प्रक्रिया के दौरान उपभोक्ताओं से अतिरिक्त शुल्क वसूले जाने की संभावना को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्होंने पहले ही मीटर के लिए भुगतान किया था, ऐसे में फिर से शुल्क वसूलना अनुचित है।
ग्राहक संघों और विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कदम निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया जा रहा है, जबकि आम नागरिक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
स्मार्ट मीटर के फायदे भी हैं
हालांकि इस विवाद के बीच स्मार्ट मीटरिंग के कुछ फायदे भी हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को 2% तक की छूट प्रदान करता है यदि वे अग्रिम भुगतान करते हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता अपने पुराने बिलों से तुलना कर आसानी से जान सकते हैं कि उनका मीटर सही काम कर रहा है या नहीं।
इन मीटरों की सबसे खास बात यह है कि वे उपभोक्ताओं को अपने बिजली उपयोग पर पूरी पारदर्शिता देते हैं। जब भी वे प्रीपेड रिचार्ज कराते हैं, तो उन्हें रियल-टाइम खपत की जानकारी मिलती है ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल रिचार्ज में होता है।
बकाया वसूली का नया तरीका
बिजली विभाग पुराने बकाया की वसूली के लिए भी अब नया सिस्टम लागू करने जा रहा है। जो उपभोक्ता पर किसी कारण से बकाया बचा है, उनसे यह राशि एक बार में नहीं बल्कि छोटे दैनिक शुल्कों के रूप में काटी जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी उपभोक्ता पर ₹500 का बकाया है, तो यह राशि धीरे-धीरे उनके दैनिक रिचार्ज से स्वतः घटा दी जाएगी। विभाग का मानना है कि इससे वसूली प्रक्रिया आसान और उपभोक्ताओं के लिए कम बोझिल बनेगी।
उपभोक्ताओं की चिंता
औपचारिक तौर पर सरकार यह दावा कर रही है कि स्मार्ट मीटर ऊर्जा बचत और सटीक बिलिंग के लिए ज़रूरी हैं। मगर आम उपभोक्ता का कहना है कि मीटर की लागत जोड़ने से उनका मासिक बिल पहले से ज्यादा बढ़ जाएगा। कई घरों में पहले ही बिजली टैक्स, सरचार्ज और ट्रांसफॉर्मर शुल्क जैसे कई चार्ज शामिल हैं। अब स्मार्ट मीटर की किस्तें उस पर और भार डालेंगी।









