Tags

RBI Currency: भारत में इस नोट को RBI नहीं छापता? जानें इसके पीछे की वजह

भारत का ₹1 का नोट बाकी नोटों से अलग है क्योंकि इसे RBI नहीं, बल्कि भारत सरकार जारी करती है। इस पर वित्त सचिव के सिग्नेचर होते हैं, गवर्नर के नहीं। RBI Act, 1934 के अनुसार ₹1 का नोट सिक्के की श्रेणी में आता है और इसकी वैल्यू की गारंटी सरकार देती है, न कि रिज़र्व बैंक।

By Pinki Negi

भारत का करेंसी सिस्टम दुनिया में अपनी सख्त रेगुलेशन और पारदर्शिता के लिए जाना जाता है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) देश में लगभग हर करेंसी नोट को प्रिंट करने और जारी करने का अधिकार रखता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, देश में एक ऐसा नोट भी है जो RBI नहीं छापता? जी हां, वह है ₹1 का नोट भारत की करेंसी का सबसे छोटा लेकिन सबसे यूनिक हिस्सा।

RBI है देश का करेंसी इश्यूअर

RBI Act, 1934 के तहत ₹2 से लेकर ₹2000 तक के सभी नोट जारी करने का एक्सक्लूसिव अधिकार रिज़र्व बैंक के पास है। लेकिन ₹1 का नोट इस एक्ट से जानबूझकर बाहर रखा गया है। इसका मतलब यह हुआ कि इस विशेष डिनॉमिनेशन को केंद्र सरकार यानी भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।

यही कारण है कि ₹1 के नोट पर आपको ‘Reserve Bank of India’ की बजाय “Government of India” लिखा मिलता है, और इसके नीचे RBI गवर्नर के सिग्नेचर नहीं बल्कि वित्त सचिव के सिग्नेचर होते हैं। यह एक छोटा-सा फर्क दिखने में मामूली है, लेकिन इसका कानूनी और आर्थिक महत्व काफी बड़ा है।

₹1 का नोट — सिक्के जैसा दर्जा रखने वाला “पेपर कॉइन”

भारतीय सिक्का अधिनियम, 2011 के मुताबिक ₹1 का नोट कानूनी रूप से “coin” की श्रेणी में आता है। यानी, कागज से बना होने के बावजूद इसकी स्थिति सिक्के जैसी ही मानी जाती है। इसकी वैल्यू सीधे भारत सरकार की गारंटी के तहत आती है, न कि RBI की गारंटी के तहत। सरल शब्दों में, यह “पेपर फार्म में कॉइन” है। सरकार इसके डिजाइन से लेकर प्रिंटिंग और सर्कुलेशन तक की हर चीज़ को कंट्रोल करती है। RBI बस इसे पूरे देश में डिस्ट्रिब्यूट करने का काम करता है एक एजेंट की तरह।

₹1 के नोट में क्यों नहीं होती “Promise Clause”?

जब भी आप ₹10, ₹50 या ₹500 का कोई नोट देखते हैं, उस पर लिखा होता है — मैं धारक को… रुपए अदा करने का वचन देता हूं”। इसे “Promise Clause” कहा जाता है और यह RBI गवर्नर के सिग्नेचर के साथ होता है।

लेकिन ₹1 के नोट पर ऐसा कोई वादा नहीं लिखा होता। वजह यह है कि ₹1 का नोट वैसे ही “मूल्य की इकाई” है, यानी यह खुद करेंसी के बेस वैल्यू को दर्शाता है। RBI बाकी नोटों की वैल्यू का वादा करता है, लेकिन ₹1 की वैल्यू की गारंटी सरकार खुद देती है। इसलिए इस नोट के लिए किसी “Promise” या RBI की तरफ से गारंटी की जरूरत नहीं होती।

₹1 का नोट कैसे बनता है और कहां छपता है?

₹1 के नोट की छपाई का जिम्मा भारत सरकार के अधीन सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) का होता है। यह वही संस्था है जो सिक्कों की मिंटिंग (coin production) और कुछ सरकारी स्टाम्प पेपर्स की प्रिंटिंग का काम भी करती है।

एक बार नोट की प्रिंटिंग पूरी हो जाने के बाद, इन्हें रिज़र्व बैंक के तहत विभिन्न करेंसी चेस्ट्स में भेजा जाता है। वहां से यह देशभर के बैंकों और उनके ब्रांच नेटवर्क के जरिए जनता तक पहुंचते हैं। यानी नोट सरकार बनाती है लेकिन इसे चलन में लाने (circulation) का जिम्मा RBI उठाता है।

क्यों है ₹1 का नोट खास और प्रतीकात्मक

हालांकि ₹1 का नोट अब रोजमर्रा के लेन-देन में बहुत कम दिखाई देता है, लेकिन इसका महत्व प्रतीकात्मक रूप से काफी बड़ा है। यह भारत की मौद्रिक सत्ता (monetary sovereignty) का प्रतीक है यह दिखाता है कि करेंसी की असल गारंटी आखिरकार सरकार के पास होती है।

इसके अलावा, ₹1 का नोट देश के करेंसी सिस्टम के इतिहास की याद दिलाता है। पहली बार इसे ब्रिटिश काल में 1917 में जारी किया गया था। बीच-बीच में इसके प्रिंटिंग को बंद और फिर शुरू किया गया, लेकिन आज भी यह भारत की वित्तीय विरासत का हिस्सा बना हुआ है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

अभी-अभी मोदी का ऐलान

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें