
राज्यसभा में दिए गए आँकड़ों के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में लगभग 8,96,843 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है, और यह संख्या 2022 के बाद से बढ़ी है। इसी बीच, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने यह भी बताया कि सरकार फर्जी जॉब ऑफर्स देने वाली उन फर्मों पर ध्यान दे रही है जो सोशल मीडिया के ज़रिए भारतीयों को दक्षिण एशियाई देशों में फँसाती हैं। उन्होंने जानकारी दी कि इन स्कैम सेंटरों से, जहाँ जबरन साइबर क्राइम और अन्य फर्जी गतिविधियों से जुड़ा काम कराया जाता था, कुल 6,700 भारतीयों को सफलतापूर्वक बचाया गया है।
पिछले 14 सालों में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या
पिछले 14 वर्षों में भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2011 से 2019 के बीच 11 लाख 89 हज़ार से अधिक लोगों ने नागरिकता छोड़ी, जबकि इसके बाद 2020 में यह संख्या 85 हज़ार 256 थी। हालांकि, अगले वर्षों में यह संख्या तेजी से बढ़ी और 2022 में यह 2 लाख 25 हज़ार से अधिक के अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गई। 2023 और 2024 में भी यह आंकड़ा 2 लाख से ऊपर बना रहा।
विदेशों में रह रहे भारतीयों की शिकायतें
विदेश राज्य मंत्री ने जानकारी दी कि साल 2024-25 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों से कुल 16,127 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से 11,195 शिकायतें ‘मदद’ पोर्टल पर और 4,932 शिकायतें ‘सीपीग्राम्स’ के ज़रिए दर्ज की गईं। संकट से संबंधित सबसे ज़्यादा मामले सऊदी अरब (3,049) से आए। इसके बाद, यूएई (1,587), मलेशिया (662), अमेरिका (620), और ओमान (613) जैसे देशों से भी कई शिकायतें मिलीं।
प्रवासी भारतीयों की शिकायत निवारण के लिए मजबूत सिस्टम
मंत्री ने जानकारी दी है कि भारत सरकार ने प्रवासी भारतीयों की समस्याओं को हल करने के लिए एक मजबूत और प्रभावी व्यवस्था बनाई है। इस व्यवस्था में कई स्तर हैं, जैसे: इमरजेंसी हेल्पलाइन, सीधे दूतावास में आकर बात करने की सुविधा (वॉक-इन), सोशल मीडिया सहायता और 24×7 बहुभाषी सपोर्ट। उन्होंने बताया कि अधिकतर मामलों को सीधे बातचीत, कंपनियों से मध्यस्थता, और विदेशी अधिकारियों के साथ मिलकर जल्दी से जल्दी सुलझा लिया जाता है।
सरकार की प्राथमिकता
प्रवासी कामगारों से जुड़े कुछ मामलों में देरी की मुख्य वजह अधूरी जानकारी, नियोक्ताओं का सहयोग न करना, और अदालती मामलों में भारतीय मिशनों की सीमित भूमिका होती है। इसके बावजूद, सरकार प्रवासी कामगारों की सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता मानती है। इसलिए, भारतीय दूतावास इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड (ICWF) की मदद से पैनल वकीलों द्वारा कानूनी सहायता उपलब्ध कराते हैं। साथ ही, प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र और कांसुलर कैंप लगातार मार्गदर्शन और ज़रूरी सहायता प्रदान कर रहे हैं।









