
सरकार के ‘हर मोबाइल में संचार साथी ऐप’ इंस्टॉल करने के निर्देश से सियासी हंगामा शुरू हो गया है, खासकर संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान। विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस ऐप को ‘जासूसी वाला ऐप’ बताया है और आरोप लगाया है कि इसके जरिए सरकार नागरिकों की निजता (Privacy) का उल्लंघन करना चाहती है। यह पूरा विवाद दूरसंचार विभाग के उस निर्देश से उपजा है, जिसमें मोबाइल हैंडसेट की असली पहचान जाँचने के लिए इस ऐप को फोन में प्री-इंस्टॉल करने को कहा गया है। विपक्ष के सवाल उठाने पर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पर जवाब दिया है।
सिंधिया का विपक्ष को जवाब
सिंधिया ने साफ तौर पर कहा कि यह नया ऐप लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब कोई फ्रॉड (धोखाधड़ी) होता है, तब भी विपक्ष सवाल उठाता है, और जब उस फ्रॉड को रोकने के लिए कोई समाधान या रास्ता निकाला जाता है, तब भी वे इसका विरोध करते हैं। उन्होंने अंत में कहा कि यह ऐप पूरी तरह स्वैच्छिक (Optional) है; जो लोग इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं, वे करें, और जो नहीं चाहते, वे इसे डिलीट कर सकते हैं।
#WATCH दिल्ली: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘संचार साथी’ पर कहा, "जब विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, और विपक्ष मुद्दा ढूंढना चाहता है तो हम उनकी मदद नहीं कर सकते। हमारा कर्तव्य है कि हम उपभोक्ताओं की मदद करें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। संचार साथी एक ऐप और… pic.twitter.com/Rx1eiAlrSh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 2, 2025
सारथी ऐप पर विपक्ष का आरोप
संसद की आईटी कमेटी की सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार के नए सारथी ऐप पर संदेह जताया है। उनका कहना है कि सरकार भले ही इस ऐप को लेकर सफाई दे रही हो, लेकिन इसका असली मकसद पेगासस (Pegasus) जासूसी सॉफ्टवेयर जैसा ही लगता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐप के नोटिफिकेशन (अधिसूचना) में यह बात बिल्कुल स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
प्रियंका गांधी का आरोप: ‘जासूसी ऐप से प्राइवेसी पर हमला’
प्रियंका गांधी ने इस ऐप को ‘जासूसी ऐप’ बताते हुए सरकार पर हमला किया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि नागरिकों को निजता (प्राइवेसी) का अधिकार है। उनका कहना था, “हम बिना किसी सरकारी निगरानी के अपने परिवार और दोस्तों को मैसेज भेज सकें, यह एक सामान्य अधिकार है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हर तरह से देश को तानाशाही (Dictatorship) में बदलने की कोशिश कर रही है और जानना चाहती है कि नागरिक क्या कर रहे हैं।
नागरिकों की निजता पर सवाल
वरिष्ठ नेताओं ने नागरिकों के फ़ोन पर निगरानी रखने की सरकारी कोशिशों की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार को यह नहीं देखना चाहिए कि भारत का हर नागरिक अपने फ़ोन पर क्या कर रहा है। फ्रॉड की रिपोर्ट करने के लिए एक असरदार सिस्टम होना चाहिए, लेकिन साइबर सुरक्षा का मतलब यह नहीं है कि सरकार को हर नागरिक के टेलीफ़ोन की निगरानी करने का बहाना मिल जाए, जिससे कोई नागरिक खुश नहीं होगा। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इस सरकारी निर्देश को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जो मौलिक अधिकार का हिस्सा है। उन्होंने चेतावनी दी कि प्री-लोडेड सरकारी ऐप जिसे हटाया नहीं जा सकता, वह हर भारतीय पर नज़र रखने का एक उपकरण है, जिससे उनकी हर गतिविधि और बातचीत पर निगरानी रखी जा सकेगी।
भारत में मोबाइल सुरक्षा को मजबूत करने और ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक नया निर्देश जारी किया है. इसके तहत अब देश में बनने वाले या विदेश से आने वाले हर नए स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप पहले से ही मौजूद होगा यानि प्री-इंस्टॉल होगा. इस आदेश को सभी मोबाइल… pic.twitter.com/lbZ5NjVtJR
— Zee News (@ZeeNews) December 2, 2025
मैसेजिंग ऐप्स के लिए नया सरकारी नियम
भारत सरकार ने 29 नवंबर को एक नया और अहम नियम लागू किया है। अब व्हाट्सएप, टेलीग्राम, अरट्टाई जैसे सभी मैसेजिंग ऐप्स को हमेशा यूजर के डिवाइस में सक्रिय (Active) सिम कार्ड से लिंक रहना होगा। इसका मतलब है कि ऐप तभी काम करेगा जब वह चालू सिम कार्ड से जुड़ा हो और सिम फ़ोन में लगा हो। इसके साथ ही, इन ऐप्स के वेब वर्जन (जैसे WhatsApp Web) हर 6 घंटे में खुद-ब-खुद लॉग-आउट हो जाएंगे और उन्हें QR कोड स्कैन करके दोबारा लॉग-इन करना होगा। सभी प्लेटफॉर्म्स को यह नियम 90 दिनों के भीतर लागू करना होगा और 120 दिनों में इसकी पूरी रिपोर्ट जमा करनी होगी।
सरकार के लिए संचार साथी ऐप का उद्देश्य
निर्देशों में बताया गया है कि केंद्र सरकार के पास साइबर सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कामों को पहचानने और उनकी रिपोर्ट करने के लिए ज़रूरी डिजिटल उपकरण बनाने का अधिकार है। इसी कारण, दूरसंचार विभाग (DoT) ने ‘संचार साथी’ ऐप शुरू किया है। इस ऐप का मुख्य उद्देश्य सभी संबंधित लोगों (Stakeholders) को IMEI से जुड़े संदिग्ध गलत इस्तेमाल की रिपोर्ट करने में मदद करना है, साथ ही मोबाइल डिवाइस में इस्तेमाल हो रहे IMEI की असलियत (सच्चाई) जाँचने में भी यह ऐप सहायक है।
सभी कंपनियों के लिए सरकारी निर्देश
सरकार ने सभी मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों और इंपोर्टर्स को निर्देश दिया है कि नकली (डुप्लीकेट) IMEI वाले फ़ोन साइबर सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इसीलिए, 90 दिनों के भीतर यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत में बनाए या इंपोर्ट किए गए सभी मोबाइल फ़ोन में ‘संचार साथी’ एप्लीकेशन पहले से इंस्टॉल हो। इसके साथ ही, यह भी पक्का करना होगा कि जब कोई यूज़र पहली बार फ़ोन शुरू करे या सेटअप करे, तो यह ऐप उसे आसानी से दिखाई दे और इसे बंद या अनइंस्टॉल न किया जा सके।









