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वैज्ञानिकों ने की अनोखी खोज, अब खिड़कियों के कांच बनाएंगे बिजली, ऐसी, गीजर चलेगा फ्री में!

चीन के वैज्ञानिकों ने पारदर्शी खिड़की कोटिंग विकसित की, जो सूरज की रोशनी को किनारों पर मोड़कर बिजली बनाती है। रंगहीन लिक्विड क्रिस्टल से बनी यह तकनीक पुरानी सोलर विंडोज से बेहतर है—सस्ती, पूरी पारदर्शी और 50 गुना ज्यादा ऊर्जा पैदा कर सकती है। ऊंची इमारतों के लिए गेम-चेंजर!

By Pinki Negi

कल्पना कीजिए, अगर आपकी खिड़कियां सूरज की रोशनी से खुद ऊर्जा बनाने लगें! चीन के वैज्ञानिक अब यही हकीकत में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने एक ऐसी पारदर्शी कोटिंग तैयार की है, जिसे खिड़की के शीशे पर लगाया जा सकता है। यह कोटिंग सूरज की रोशनी को कैद कर बिजली में बदल देती है, बिना इस बात के कि खिड़की से रोशनी आना कम हो जाए।

बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के बीच नई उम्मीद

आज दुनिया भर में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। खासकर शहरी इलाकों में ऊंची-ऊंची इमारतें और बड़े ऑफिस बिजली की मांग को और बढ़ा रहे हैं। ऐसे में सोलर टेक्नोलॉजी को इमारतों की संरचना का हिस्सा बनाना अब ज़रूरी हो गया है। 2010 के बाद से सोलर इंस्टालेशन बेहद सस्ते हुए हैं। सिर्फ अमेरिका में ही 40 लाख से ज्यादा घरों में सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। लेकिन जगह की कमी और खूबसूरत डिज़ाइन की जरूरत को देखते हुए अब वैज्ञानिक ऐसी तकनीक चाहते हैं जो खिड़कियों और दीवारों जैसी सतहों को ही ऊर्जा का स्रोत बना दे।

पारंपरिक सोलर विंडो की सीमाएं

अब तक बाजार में जो सोलर जनरेटिंग विंडोज उपलब्ध हैं, वे अमोर्फस सिलिकॉन, गैलियम आर्सेनाइड या ऑर्गेनिक फोटovoltaic जैसी तकनीकों पर आधारित हैं। हालांकि ये काम करती हैं, लेकिन उनकी बड़ी दिक्कत यह है कि वे काफी महंगी होती हैं और सिर्फ सीमित मात्रा में रोशनी कैप्चर कर पाती हैं। इनका रंग या टिंट कांच की पारदर्शिता घटा देता है, जिससे कमरों में कम रोशनी आती है। इसके कारण सर्दियों में प्राकृतिक गर्मी घट जाती है और दृश्य भी धुंधला दिखने लगता है।

नानजिंग यूनिवर्सिटी की “कलरलेस लिक्विड क्रिस्टल” तकनीक

चीन की नानजिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल ढूंढ लिया है। उन्होंने एक नई तकनीक विकसित की है जिसमें Cholesteric Liquid Crystal (CLC) नामक रंगहीन तरल का इस्तेमाल किया गया है। यह तरल अपनी संरचना में हेलिकल यानी कुंडलाकार होता है, जिससे यह विशेष कोणों पर रोशनी को परावर्तित कर सकता है। यह वही तकनीक है जिसे आमतौर पर थर्मामीटर और डिस्प्ले स्क्रीन में देखा जाता है, लेकिन अब इसे ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

कैसे काम करती है यह पारदर्शी सोलर विंडो

वैज्ञानिकों ने कई CLC लेयर को जोड़कर एक नए प्रकार की फिल्म बनाई है, जिसे Colorless Unidirectional Solar Concentrator (CUSC) कहा जाता है। यह पूरी तरह पारदर्शी रहती है और रोशनी को एक दिशा में मोड़कर कांच के किनारों की तरफ पहुंचाती है। कांच के किनारों पर लगे छोटे से सिलिकॉन सोलर सेल इस रोशनी को पकड़ लेते हैं और उसे बिजली में बदल देते हैं। कांच पर कोटिंग लगाने से पहले इसे अल्ट्रासोनिक वेव से साफ किया जाता है ताकि रोशनी का प्रवाह अधिकतम हो सके।

शुरुआती सफलता: छोटे पंखे तक को चलाया

नानजिंग की टीम ने इसका परीक्षण 2.5 सेंटीमीटर की कांच डिस्क पर पांच परतें लगाकर किया। इस छोटी सी डिस्क ने धूप में रखे एक 10 मिलीवाट (mW) के छोटे फैन को चला दिया। यह भले ही शुरुआती स्तर की सफलता लगे, लेकिन इससे साबित हो गया कि यह तकनीक व्यावहारिक रूप से काम कर सकती है। आने वाले वर्षों में इसके बड़े आकार के संस्करण विकसित किए जा सकते हैं जो पूरी खिड़की को बिजली बनाने वाली सतह में बदल देंगे।

किन जगहों पर सबसे उपयोगी होगी यह तकनीक

यह कोटिंग खासतौर से उन शहरों में अधिक फायदेमंद होगी जो भूमध्य रेखा के पास हैं, जैसे भारत, दक्षिण चीन, सिंगापुर या इंडोनेशिया। इन क्षेत्रों में सालभर पर्याप्त धूप मिलती है जिसका अधिकतम उपयोग इस तकनीक से किया जा सकता है। हालांकि विशेषज्ञ यह भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कोटिंग कमरे की प्राकृतिक गर्मी या ठंडक पर क्या असर डालेगी।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

स्टडी के अनुसार उंची इमारतों पर इस तकनीक का उपयोग सबसे अधिक प्रभावी हो सकता है। हालांकि चीन अब 500 मीटर से ऊंची नई इमारतें बनाने पर रोक लगा चुका है, फिर भी मध्यम ऊंचाई वाली इमारतों में इसकी भारी संभावनाएं हैं। अनुमान लगाया गया है कि 2 मीटर चौड़ी खिड़की पर CUSC लगाने से ऊर्जा उत्पादन में 50 गुना तक वृद्धि हो सकती है।

फिर भी कुछ व्यावहारिक चुनौतियां बाकी हैं—जैसे बारिश, धूल, बर्फ या पक्षियों की बीट से कोटिंग की सुरक्षा। वैज्ञानिक इस पर भी विचार कर रहे हैं कि अगर इसे बचाने के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षात्मक परत लगाई जाए, तो क्या इससे ऊर्जा उत्पादन पर असर पड़ेगा या नहीं।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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