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SIR फॉर्म में की ये छोटी सी गलती पड़वा सकती है जेल! कहीं आपने भी तो नहीं किया ये बड़ा भूल? अभी चेक करें

सरकारी फॉर्म में गलत जानकारी देना "छोटी गलती" नहीं, बल्कि गंभीर अपराध है। दो जगहों से वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना या नकली दस्तावेज देने पर आपको 1 से 7 साल तक की जेल हो सकती है। अनजाने में हुई गलतियों को तुरंत सुधार लें, क्योंकि कानून की अज्ञानता कोई बहाना नहीं है। हमेशा सतर्क रहें और सही जानकारी ही भरें।

By Pinki Negi

हममें से कई लोग सरकारी फॉर्म भरते समय अक्सर लापरवाही बरतते हैं। हमारे दिमाग में एक बात बैठी होती है “अरे, सरकारी काम है, कौन इतना ध्यान देता है?” या “दो जगह से वोटर आईडी बनवा लेते हैं, गाँव में भी वोट देंगे और शहर में भी।” लेकिन ठहरिए! अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो आप अनजाने में अपने लिए मुसीबत का जाल बुन रहे हैं। खासकर, जब बात SIR (Special Intensive Revision) जैसे महत्वपूर्ण अभियानों या वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने की हो, तो एक छोटी सी ‘चालाकी’ आपको सीधे कोर्ट-कचहरी के चक्कर में डाल सकती है।

फॉर्म में जानबूझकर गलत जानकारी देना सिर्फ एक ‘गलती’ नहीं, बल्कि कानून की नजर में एक गंभीर अपराध है। आइए समझते हैं कि यह कितना भारी पड़ सकता है और इससे कैसे बचा जाए।

1. “दो जगह, दो पहचान”

सबसे आम और गंभीर गलती जो लोग करते हैं, वह है दो अलग-अलग जगहों से मतदाता सूची में नाम जुड़वाना। अक्सर लोग सोचते हैं कि यह तो स्मार्टनेस है, गाँव के प्रधानी चुनाव में भी वोट देंगे और शहर के निगम चुनाव में भी।

लेकिन कानून इसे ‘स्मार्टनेस’ नहीं, बल्कि धोखाधड़ी मानता है। चुनाव आयोग अब बहुत सख्त हो चुका है। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से SIR फॉर्म भरता है या अपना नाम दर्ज करवाता है, तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) के तहत उसे एक साल तक की जेल या भारी जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। आज के डिजिटल दौर में डेटा क्रॉस-वेरिफाई करना बहुत आसान है, इसलिए यह सोचना कि “किसी को पता नहीं चलेगा,” अब पुरानी बात हो गई है।

2. झूठ बोलना या तथ्य छुपाना

फॉर्म भरते समय कई बार लोग अपना असली पता, सही उम्र या अन्य महत्वपूर्ण जानकारी छुपा लेते हैं। यह अक्सर किसी विशेष लाभ को पाने या किसी अयोग्यता से बचने के लिए किया जाता है।

आपको यह समझना होगा कि जब आप किसी फॉर्म के अंत में हस्ताक्षर करते हैं, तो आप एक कानूनी घोषणा कर रहे होते हैं कि “मेरे द्वारा दी गई सभी जानकारी सत्य है।” अगर बाद में जाँच में यह पाया जाता है कि आपने जानबूझकर नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि या पते में हेराफेरी की है, तो यह कानूनी कार्रवाई को न्यौता देना है। यह केवल फॉर्म रिजेक्ट होने तक सीमित नहीं रहता; यह आपराधिक मुकदमे की वजह बन सकता है।

3. फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल पर सजा

यह सबसे गंभीर श्रेणी का अपराध है। अगर आप अपनी जानकारी को सही साबित करने के लिए नकली मार्कशीट, जाली आधार कार्ड, या छेड़छाड़ किए गए (tampered) दस्तावेजों का सहारा लेते हैं, तो मामला बहुत संगीन हो जाता है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए कड़े प्रावधान हैं। यदि आप दोषी पाए जाते हैं, तो आपको 7 साल तक की जेल की हवा खानी पड़ सकती है। यह आपके करियर, सामाजिक प्रतिष्ठा और भविष्य को पूरी तरह बर्बाद कर सकता है। इसलिए, शॉर्टकट अपनाने से बेहतर है कि सही दस्तावेजों का ही इस्तेमाल करें, भले ही प्रक्रिया में थोड़ा अधिक समय क्यों न लगे।

4. क्या अनजाने में हुई गलती भी अपराध है?

इंसान गलतियों का पुतला है, और कानून भी इस बात को समझता है। अगर फॉर्म भरते समय आपसे अनजाने में कोई स्पेलिंग मिस्टेक हो गई है, या टाइपिंग में कोई अंक इधर-उधर हो गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है।

आम तौर पर, ऐसी “बोनफाइड” गलतियों को धोखाधड़ी नहीं माना जाता। ऐसी स्थिति में आपको सुधार का मौका दिया जाता है। आप एक शपथ पत्र (Affidavit) देकर या ‘करेक्शन विंडो’ के दौरान इसे ठीक करवा सकते हैं। लेकिन याद रखें, गलती ‘अनजाने’ में होनी चाहिए, न कि तथ्यों को बदलने की नीयत से।

5. अब क्या करें? सुरक्षा के उपाय

अगर यह पढ़ते हुए आपको लग रहा है कि आपने हाल ही में भरे किसी SIR फॉर्म या सरकारी दस्तावेज में कोई बड़ी गलती कर दी है, तो डरने के बजाय तुरंत कदम उठाएं:

  • री-चेक (Re-check) करें: अपने द्वारा जमा किए गए फॉर्म की कॉपी या रसीद को दोबारा ध्यान से पढ़ें।
  • सुधार का अवसर न चूकें: चुनाव आयोग और अन्य सरकारी विभाग समय-समय पर फॉर्म में सुधार के लिए तारीखें निकालते हैं। उस दौरान अपनी गलती सुधार लें।
  • विभाग से संपर्क करें: अगर गलती बड़ी है, तो खुद आगे बढ़कर संबंधित अधिकारी से मिलें और लिखित में अपनी गलती स्वीकार करते हुए सही जानकारी दें। अपनी गलती खुद बता देना पकड़े जाने से कहीं बेहतर है।
  • कानूनी सलाह: अगर आपको लगता है कि मामला गंभीर है (जैसे दो जगह वोटिंग आईडी), तो किसी वकील से सलाह लें कि इसे कानूनी रूप से कैसे सही कराया जाए।
Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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