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मुआवजा नहीं मिला तो किसान ने खोद डाली सड़क, PWD ने 10 साल पहले ‘जबरन’ बना दी थी रोड

मुआवज़ा न मिलने से नाराज़ किसान ने 10 साल पहले जबरन बनाई गई सड़क को खोद डाला! PWD विभाग की मनमानी के ख़िलाफ़ किसान ने लिया ये बड़ा कदम। जानिए कोर्ट के आदेश के बावजूद ₹15 लाख का मुआवज़ा क्यों नहीं मिला और अब कितने गाँवों का आवागमन प्रभावित हुआ है।

By Pinki Negi

मुआवजा नहीं मिला तो किसान ने खोद डाली सड़क, PWD ने 10 साल पहले ‘जबरन’ बना दी थी रोड
किसान

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक किसान, मन्नू सिंह, ने मुआवज़ा न मिलने से नाराज़ होकर सड़क ही खुदवा दी। पीडब्ल्यूडी (PWD) ने एक दशक पहले जबरन उनकी ज़मीन पर सड़क बना दी थी। किसान कोर्ट गए, और 2022 में कोर्ट के आदेश पर उन्हें सड़क पर कब्ज़ा मिला। किसान ने पहले भी सड़क खुदवाई थी, लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी जब पीडब्ल्यूडी ने मुआवज़े के लिए कोई संपर्क नहीं किया, तो किसान ने सड़क को पूरी तरह से खुदवा दिया। इस कारण, गाजीपुर और दिलदारनगर के बीच आने-जाने वाला रास्ता बंद हो गया है।

ज़मीन के बीचोंबीच बना पुल, किसान को नहीं मिला मुआवज़ा

यह मामला गाज़ीपुर ज़िले की सुहवल से दिलदारनगर को जोड़ने वाली सड़क का है। यहाँ 2005 में पीडब्ल्यूडी द्वारा बगड़ाहा पुल बनाया गया था, जो किसान चंद्रिका राय और हरिश्चंद्र राय की ज़मीन के ठीक बीचोंबीच बना दिया गया। किसान ने 2004 में उस ज़मीन पर स्टे ऑर्डर भी लिया था, लेकिन उस समय के प्रशासन और ठेकेदार ने ज़बरदस्ती रातों-रात पुल को सड़क से जोड़ दिया। इस कारण किसान की दो एकड़ ज़मीन प्रभावित हुई, मगर अभी तक विभाग ने किसान को कोई मुआवज़ा नहीं दिया है।

किसान को 17 साल बाद मिला सड़क पर कब्ज़ा और मुआवज़ा

किसान चंद्रिका राय और हरिश्चंद्र राय ने 2005 में कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके निधन के बाद उनके बेटों ने यह केस जारी रखा। 2015 में कोर्ट ने किसान के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और सड़क के हर्जाने के तौर पर ₹80,000 सालाना देने का निर्देश दिया। पीडब्ल्यूडी (PWD) ने ज़िला न्यायालय में अपील की, लेकिन 2022 में कोर्ट का फ़ैसला फिर से किसान के पक्ष में आया। इसके अलावा, 2019 में दायर एक और याचिका (इजरा) का फ़ैसला भी 2022 में आया। 2022 में पीडब्ल्यूडी द्वारा किसान को हर्जाने की रकम और कोर्ट खर्च मिलाकर लगभग ₹15 लाख का भुगतान किया गया।

कोर्ट के आदेश पर किसान ने काटी सड़क, आवागमन प्रभावित

5 सितंबर 2022 को कोर्ट के आदेश के बाद, एक अमीन ने मौके पर जाकर किसान को उसकी ज़मीन सौंप दी। उस समय भी किसान ने सड़क को थोड़ा काट दिया था, जिससे करीब तीन दर्ज़न गाँवों का आना-जाना प्रभावित हुआ, हालाँकि लोग पैदल या दोपहिया वाहनों से निकल सकते थे। दुःख की बात यह है कि पिछले तीन सालों में पीडब्ल्यूडी विभाग ने इस समस्या को सुलझाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब किसान द्वारा सड़क पूरी तरह से काट दिए जाने के कारण, 20 से 30 गाँवों के लोगों को करीब 20 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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