
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में किरायेदार और मकान मालिक के बीच विवाद आम हैं। कई बार किराया न दे पाने पर मकान मालिक ग़ुस्से में आकर ताला बदल देते हैं, बिजली काट देते हैं या सामान बाहर फेंक देते हैं। लेकिन, कानूनी रूप से, किराया न देने पर भी मकान मालिक को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। भारत में कोर्ट के आदेश के बिना किसी भी किरायेदार को जबरदस्ती बाहर निकालना पूरी तरह से ग़ैरकानूनी है।
किरायेदार को निकालने का कानूनी तरीका
कानून (सिविल प्रोसीजर कोड – CPC) के अनुसार, कोई भी मकान मालिक कोर्ट के आदेश के बिना अपने किरायेदार को घर से बेदखल नहीं कर सकता है। किरायेदार को कानूनी रूप से घर से निकालने के लिए, मकान मालिक को पहले कोर्ट में बेदखली का मुकदमा दायर करना पड़ता है। कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद ही “डिक्री ऑफ इविक्शन” यानी घर से बेदखली का आदेश जारी किया जाता है।
कानून के मुताबिक, किसी भी किरायेदार को घर से निकालने के लिए मकान मालिक को सिविल कोर्ट में ‘Eviction Suit’ (बेदखली का मुकदमा) दायर करना अनिवार्य है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई करने के बाद ही ‘Eviction Decree’ (बेदखली का आदेश) जारी करता है। मकान मालिक को यह ध्यान रखना चाहिए कि कोर्ट के आदेश के बिना किरायेदार के घर का ताला बदलना या उनका सामान बाहर फेंकना कानूनन अपराध है।
मकान मालिक पर भी कार्रवाई
पुराने IPC की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू हो गई है, लेकिन किरायेदार को परेशान करने वाले काम अभी भी अपराध हैं। अगर मकान मालिक बिना आदेश के सामान बाहर फेंक देता है, ताला बदल देता है, या धमकाता है, तो BNS की संबंधित धाराओं के तहत सीधा अपराध दर्ज हो सकता है और पुलिस कार्रवाई करना अनिवार्य है। ऐसी कार्रवाई के लिए आपराधिक अतिक्रमण (धारा 329), संपत्ति को नुकसान (धारा 324), आपराधिक धमकी (धारा 351/352) और अगर कोई सामान गायब होता है तो चोरी (धारा 303) जैसी धाराएँ लगाई जा सकती हैं।
रेंट कंट्रोल एक्ट
राज्यों के रेंट कंट्रोल एक्ट अभी भी लागू हैं, जिसके तहत किसी भी किरायेदार को बिना नोटिस, बिना निर्धारित समय और बिना कोर्ट के आदेश के घर से निकालना पूरी तरह गैरकानूनी है। सबसे खास बात यह है कि लिखित एग्रीमेंट न होने पर भी किरायेदार के अधिकार सुरक्षित रहते हैं। किराया रसीद, बैंक ट्रांसफर रिकॉर्ड या पड़ोसी गवाह भी किरायेदारी को साबित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण होते हैं।
ज़बरदस्ती बेदखल करने पर क्या करें?
अगर मकान मालिक कोर्ट के आदेश के बिना आपका सामान बाहर फेंक देता है या ताला बदल देता है, तो आपको तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए। आप मकान मालिक पर अवैध प्रवेश (BNS 329), संपत्ति को नुकसान (BNS 324), धमकी (BNS 351/352), और अगर सामान गायब है तो चोरी (BNS 303) जैसी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करा सकते हैं। शिकायत के साथ फोटो, वीडियो और सामान की पूरी लिस्ट ज़रूर जमा करें।
SDM या रेंट अथॉरिटी में शिकायत
बेदखली के मामलों में रेंट अथॉरिटी (या SDM) से शिकायत करना अक्सर सबसे तेज़ समाधान देता है। रेंट अथॉरिटी मकान मालिक को तुरंत ताला खुलवाने, किरायेदार का सामान वापस दिलवाने, और यहाँ तक कि मकान मालिक पर जुर्माना लगाने का भी आदेश दे सकती है।
बेदखली पर सिविल कोर्ट की मदद
अगर मकान मालिक आपको ज़बरदस्ती घर से निकालता है या आपका सामान फेंक देता है, तो आपको तुरंत सिविल कोर्ट जाना चाहिए। कोर्ट इस मामले में आदेश दे सकती है कि मकान मालिक ताला न बदले, बिजली-पानी जैसी ज़रूरी सेवाएँ न काटे, और आपको घर में आने से न रोके (प्रवेश न रोके)।
बेदखली के दौरान किरायेदार ये गलतियाँ न करें
जब मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद हो, तो किरायेदार को कुछ गलतियाँ बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।
- सबसे पहले हाथापाई या किसी भी तरह की हिंसा से बचें, क्योंकि यह मामला आप पर उल्टा भारी पड़ सकता है।
- दूसरा मकान मालिक के दबाव में आकर घर खाली करके न जाएँ, क्योंकि इसे कानूनी तौर पर आपकी किरायेदारी छोड़ने की सहमति माना जा सकता है।
- तीसरा जबरदस्ती ताला न तोड़ें, वरना मकान मालिक आप पर कानूनी धाराएँ लगवा सकता है। अंत में, सिर्फ बहस-विवाद में समय बर्बाद न करें; हर बात को लिखित शिकायत में दर्ज करें। याद रखें, फोटो, वीडियो और मोबाइल मैसेज नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत वैध इलेक्ट्रॉनिक सबूत माने जाते हैं।









