जमीन या प्लॉट खरीदना जिंदगी का बड़ा कदम होता है, लेकिन अगर सावधानी न बरतें तो इनकम टैक्स विभाग का नोटिस आपको झंझोड़ सकता है। खासकर 30 लाख रुपये से अधिक कीमत की डील पर विभाग की नजर तुरंत पड़ जाती है, क्योंकि रजिस्ट्रेशन ऑफिस यह जानकारी सीधे टैक्स सिस्टम में भेजता है। आपका वार्षिक सूचना विवरण (AIS) में यह ट्रांजेक्शन दिख जाता है, और अगर आपकी कमाई से मेल न खाए तो जांच शुरू हो सकती है।

उच्च मूल्य की खरीद पर सख्त निगरानी क्यों?
बड़े निवेश को टैक्स विभाग तुरंत स्कैन करता है, क्योंकि हाल के वर्षों में सिस्टम को और मजबूत बनाया गया है। अगर खरीद की राशि आपकी घोषित आय से मेल नहीं खाती, तो ‘फंड्स का सोर्स’ यानी पैसे की उत्पत्ति पर सवाल उठाए जाते हैं। पुरानी बचत, लोन, रिश्तेदारों से मदद या संपत्ति बिक्री जैसे स्रोतों को ITR में सही तरीके से दर्ज न करने पर समस्या बढ़ जाती है। स्टांप ड्यूटी वैल्यू से खरीद मूल्य में बड़ा अंतर भी जांच का सबब बन सकता है।
नोटिस आने की मुख्य वजहें
- घोषित आय और निवेश में बड़ा फासला दिखना।
- ITR में गिफ्ट, विरासत या बिक्री से मिली रकम का अभाव।
- स्टांप वैल्यू से 10% अधिक अंतर पर ‘अन्य स्रोतों से आय’ मानकर टैक्स लगना।
ऐसे मामलों में विभाग पिछले 3 वर्षों की आय जांच सकता है, और 50 लाख से ऊपर की डील पर 10 साल पुरानी डिटेल्स भी खंगाल सकता है। ग्रामीण इलाकों में थोड़ी ढील मिलती है, लेकिन शहरी जमीन पर पूर्ण रिपोर्टिंग जरूरी होती है।
नोटिस मिले तो तुरंत ये कदम उठाएं
नोटिस को इग्नोर न करें, बल्कि पढ़कर समझें कि कौन से दस्तावेज मांगे गए हैं। बैंक स्टेटमेंट, लोन पेपर, गिफ्ट डीड, बिक्री रसीदें या फैमिली ट्रांसफर के प्रूफ इकट्ठा करें। समय कम हो तो एक्नॉलेजमेंट देकर एक्सटेंशन लें, और जटिल केस में चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें। समय पर जवाब देने से पेनल्टी से बचाव होता है।
नोटिस से बचने के आसान उपाय
- हर बड़ी ट्रांजेक्शन का बैंक रिकॉर्ड रखें।
- गिफ्ट या लोन के लिए लिखित एग्रीमेंट बनवाएं।
- ITR में सभी आय स्रोतों को अपडेट करें।
- खरीद से पहले टैक्स एक्सपर्ट से चर्चा करें।
तो अगर आप भी कोई जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाएं, अपनी सालाना इनकम के आधार पर ही प्रॉपर्टी खरीदें और इनकम टैक्स के झंझटों से बचें।









