
सरकार की योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी विकास और आय में बढ़ोतरी के लिए अनमोल साबित होती हैं। ऐसी ही एक योजना है मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना, जो विशेष रूप से पशुपालन को मजबूत करने और दुग्ध उत्पादन को दोगुना करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। इस योजना के तहत मुर्रा नस्ल की भैंसों पर 50 प्रतिशत तक का अनुदान मिलता है, जिससे छोटी और बड़ी दोनों किस्म की किसान और पशुपालक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
मुर्रा नस्ल भैंस: दूध उत्पादन में वरदान
मुर्रा नस्ल की भैंस को देश की सबसे अधिक दूध देने वाली नस्लों में गिना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दो मुर्रा भैंस मिलकर लगभग 20 लीटर दैनिक दूध दे सकती हैं, जो कुछ महीने में अच्छी आमदनी का जरिया बन जाती है। इस दूध को स्थानीय बाजार में बेचकर ग्रामीण परिवार हजारों रुपए हर महीने कमा सकते हैं। इस कारण से भी डेयरी प्लस योजना ने युवाओं को डेयरी व्यवसाय से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
नीमच जिले में योजना की सफलता
नीमच जिले में पशुपालन विभाग ने इस योजना का जबरदस्त क्रियान्वयन किया है। 15 हितग्राहियों को हरियाणा के करनाल से खरीदी गई मुर्रा नस्ल की दो-दो भैंसें अनुदान पर दी गई हैं। पशुपालन उप संचालक डॉ. राजेश पाटीदार ने बताया कि वर्ष 2025 में जिले का लक्ष्य पूरा कर दिया गया है। सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में दुग्ध उत्पादन को दोगुना करना है, और इस दिशा में डेयरी प्लस योजना के साथ-साथ क्षीरधारा जैसे अन्य मिशनों की भूमिका भी अहम है।
योजना में सब्सिडी और आवेदन प्रक्रिया
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना में भैंसों की कुल लागत लगभग 2.95 लाख रुपए के करीब होती है। इसमें सामान्य वर्ग के लिए 50% तक की सब्सिडी मिलती है, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लाभार्थियों के लिए 75% सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है। इसका मतलब ये है कि सामान्य वर्ग के व्यक्ति को करीब 1,47,500 रुपए और SC/ST को मात्र 73,700 रुपए देने होते हैं।
इस योजना के लिए आवेदन आप अपने नजदीकी पशु चिकित्सा कार्यालय जाकर कर सकते हैं, जहां आपको फॉर्म भरने और जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे। योजना का लाभ किसानों के अलावा सामान्य नागरिक भी उठा सकते हैं, इसलिए युवा रोजगार के अवसर भी इसका फायदा पा रहे हैं।
ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का ज़रिया
सरकार का मानना है कि पशुपालन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई रोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए सबसे उपयुक्त है। मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के माध्यम से न केवल दुग्ध उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि इससे महिलाएं भी घरेलू स्तर पर रोजगार पा रही हैं। युवा वर्ग भी इस उद्योग की ओर आकर्षित हो रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिल रही है। योजना के सफल कार्यान्वयन से गांवों में रोज़गार के स्थायी स्रोत खुले हैं, जो समृद्धि और सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम है।
सरकार की ग्रामीणों से अपील
नीमच जिले के सफल प्रयोग के बाद सरकार ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द इस योजना का लाभ लें और अपने डेयरी व्यवसाय को शुरू करें। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि राज्य की दुग्ध उत्पादन क्षमता भी बढ़ेगी। यदि आप मध्यप्रदेश की ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं और पशुपालन व्यवसाय में कदम रखना चाहते हैं, तो नजदीकी पशु पालन विभाग से संपर्क करें और योजना की पूरी जानकारी लेकर हिस्सा लें। इस योजना के साथ आपके सपनों को पंख मिलेंगे और जीवन में स्थिरता आएगी।









